पटना 01 फरवरी, पटना उच्च न्यायालय ने बिहार विधान परिषद के 12 सदस्यों के मनोनयन को चुनौती देने वाली याचिका पर आज उन्हें नोटिस जारी पर अपना पक्ष रखने को कहा है । कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश समरेन्द्र प्रताप सिंह ने नागरिक अधिकार मंच की ओर से बिहार विधान परिषद के 12 सदस्यों के मनोनयन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद उन्हें नोटिस जारी किया है । अदालत में अब इस मामले पर आठ मार्च को सुनवाई होगी । गौरतलब है कि 22 मई 2014 को राज्य सरकार ने सर्वश्री राम लषण राम रमण, विजय कुमार मिश्र, सम्राट चौधरी, राणा गंगेश्वर , जावेद इकबाल अंसारी, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, शिव प्रसन्न सिंह यादव, संजय कुमार सिंह, डॉ. रामवचन राय, ललन सर्राफ, डॉ. रणवीर नंदन और रामचंद्र भारती को बिहार विधान परिषद में मनोनयन कोटे से मनोनीत किया था ।
याचिका में कहा गया है कि नियम और प्रावधान के मुताबिक विधान परिषद में साहित्यकार, शिक्षा विद ,कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता का कोटा निर्धारित है. इन तबके से 12 लोगों को मनोनीत करने का प्रावधान है. लेकिन सरकार ने अपनी पार्टी के कुछ नेताओं को मनोनीत किया है । कई सदस्य ऐसे हैं जो ना तो कलाकार हैं. ना ही साहित्यकार हैं और न ही शिक्षा विद हैं । इनमें से एक सदस्य सम्राट चौधरी की सदस्यता पहले ही रद्द हो चुकी है । संवैधानिक प्रावधान के अनुसार परिषद के सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष होता है और परिषद के इन 12 मनोनीत सदस्यों में से एक तिहाई सदस्यों को दो साल में सेवानिवृत्त हो जाना है, लेकिन इस मनोनयन के कारण सभी 12 सीटें एक साथ रिक्त होंगी जो संविधान के प्रावधान का उल्लंघन है ।

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