खण्डवा, 1 फरवरी, मध्यप्रदेश सरकार अपनी केबिनेट की बैठक कल नर्मदा की लहरों पर तैरते क्रूज़ पर करने जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इस बैठक के बहाने खंडवा जिले के हनुवन्त्या टापू को देश के पर्यटन के नक़्शे पर लाना चाहते है। हालाँकि इसका जितना प्रचार -प्रसार हो रहा है उसके अनुसार आधारभूत सुविधाएँ नहीं हैं। लुभावने विज्ञापनों से आकर्षित होकर आने वाले पर्यटक यहाँ से निराश लौट रहे हैं। इंदिरा सागर बांध की वज़ह से निमाड़ अंचल में नर्मदा का यह एशिया का सबसे बड़ा जलाशय बना है। 913 वर्ग किलोमीटर के इस विशाल जलाशय में अनेक टापू उभरे है जहाँ पर्यटन की अपार संभावनाएं है। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग इन्ही टापुओं पर पर्यटन बढ़ावा देने लिए निजी क्षेत्र को निवेश के लिए बुलाना चाहता है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह भी मध्यप्रदेश पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत रुचि ले रहे है, खण्डवा जिले के हनुवन्त्या का व्यापक प्रचार-प्रसार हो इसके लिए उन्होंने अपनी केबिनेट की बैठक भी 2 फरवरी को यहाँ क्रूज़ पर रखी है। मुख्यमंत्री अपनी केबिनेट के मंत्रियों के साथ पहले इंदौर पहुंचेंगे। वहां से बस से प्रातः 9 बजे रवाना होकर दोपहर साढ़े बारह बजे हनुवन्त्या पहुंचेंगे। यहाँ 80 सीटर क्रूज़ पर वे मीटिंग हॉल में बैठकर केबिनेट के महत्वपूर्ण निर्णय करेंगे। बैठक के बाद मुख्यमंत्री सांय 5 बजे हेलीकॉप्टर से भोपाल के लिए रवाना होंगे।
इंदिरा सागर बांध के विशाल जलाशय में उभरे टापुओं को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने के लिए 12 से 21 फरवरी तक जल महोत्सव का आयोजन मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम कर रहा है। हनुवन्त्या के साथ ही इस जलाशय में ऐसे अनेक टापू है जिनका प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है। शहरी कोलाहल से दूर यहाँ जलक्रीड़ा के साथ ही प्रकृति के पूरा लुत्फ भी उठाया जा सकता है। यहाँ बड़े उद्योगपति पूंजी निवेश के लिए आकर्षित हो इसके लिए मध्यप्रदेश शासन हर संभव प्रयास कर रहा है। यहाँ पर्यटन का पूरा सर्किट भी बनाया जा सकता है जिसमे एक सेंचुरी पार्क ( वन अभ्यारण्य ) भी प्रस्तावित है, इसके अलावा ज्योतिर्लिग ओम्कारेश्वर, महेश्वर, बुरहानपुर तो शामिल हैं ही। जल उत्सव में वॉटर स्पोर्ट्स, पतंगबाजी, वॉलीबॉल, बैलगाड़ी दौड़ जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इसमें निमाड और मालवा अंचल की संस्कृति एवं लोक नृत्य पर केंद्रित आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाएंगे। इसके अलावा हस्तशिल्प बाजार भी होगा जिसमें हस्तशिल्प के उत्पाद विक्रय के लिए उपलब्ध होंगे।
हनुवन्त्या के विकास को लेकर सरकार जितने बढ़-चढ़कर दावे कर रही है, उससे आकर्षित होकर बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ पहुँचने लगे हैं, लेकिन वे अव्यवस्थाओ से परेशान होकर निराश ही लौट रहे है। यहाँ बुरहानपुर से आई पर्यटक ऋतू उपाध्याय की शिकायत है कि सरकार का जितना ध्यान प्रचार-प्रसार में है उतनी यहाँ आधारभूत सुविधाएँ जुटाने में नहीं। पर्यटकों के बैठने के लिए यहाँ न तो छाँव है, ना ही पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था। टॉयलेट इतने गंदे हैं कि लोग नाक बंद कर ही भीतर जा पाते है। सुरक्षा की यह स्थिति है कि इसके गेट पर ही बाइकर्स बिना हेलमेट के पब्लिक के बीच स्टंट दिखा रहे थे लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। तक़रीबन यही शिकायत हरसूद से स्कूली बच्चों को यहाँ पिकनिक मनाने आई रजनी ठाकुर की भी है। इंदौर के राजेश गुप्ता कहते हैं कि सबसे बड़ी दिक्कत तो यहाँ का पहुँच मार्ग है जो अभी भी कच्चा है जहाँ निर्माण अधूरा है। जल महोत्सव के दौरान भी लोगों को धूल भरे रास्तों से होकर ही गुजरना होगा। यहाँ मूंदी से हनुवन्त्या पहुँच मार्ग का निर्माण कर रहे सिविल कांट्रेक्टर एस के झा खुले तौर पर स्वीकारते हैं कि जल-महोत्सव के पूर्व यहाँ सड़क निर्माण पूर्ण होना संभव ही नहीं है। 12 करोड़ 91 लाख रुपए की लागत से 16.2 किलोमीटर रोड का निर्माण किया जा रहा है जो अभी प्रारंभिक अवस्था में है। अभी तक शासन ने इसकी चौड़ाई को लेकर ही स्पष्ट आदेश नहीं दिए है कि इसे पौने चार मीटर का बनाना है या सात मीटर का।

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