जेनेवा,02 फरवरी, डेंगू की तरह मच्छरों के माध्यम से फैलने वाले ‘जीका’वायरस के भयावह रूप से बढ़ते प्रकोप को देखते हुये विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कल वैश्विक स्वास्थ आपातकाल की घोषणा की। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक मार्गरेट चान ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा,“ यह वायरस अनेकों देशों में खतरनाक रूप से फैल रहा है और इसकी रोकथाम के लिये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होकर कोशिशें करनी होंगी।” जीका वायरस की चपेट में ब्राजील समेत लगभग 20 अन्य देश आ चुके हैं जहां लाखों लोग इसके संक्रमण के खतरे के दायरे में हैं। श्री चान ने कहा कि जीका का प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है और जल्द ही इससे निपटने के कोई कारगर उपाय नहीं किये गये तो वर्ष के अंत तक 40 लाख अन्य नये मामले सामने आ सकते हैं। जेनेवा में संगठन की आपात बैठक हुयी जहां इस खतरनाक वायरस के फैलाव को रोकने संबंधी कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुयी। बैठक में इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खतरनाक बताते हुये वैश्विक स्वास्थ आपात की घोषणा की गयी।
जीका वायरस का सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा है और इसे अजन्में बच्चों के लिये महामारी के रूप में देखा जा रहा है। इस वायरस की वजह से भ्रूण में ही मस्तिष्क का विकास रूक जाता है। उल्लेखनीय है कि उत्तर और दक्षिण अमेरिका में इस वायरस से संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मच्छरों से इंसानों में फैलने वाले इस खतरनाक वायरस का प्रकोप सबसे ज्यादा ब्राजील में देखा जा रहा है। ब्राजील में पिछले कुछ समय में दिमागी रूप से कमजोर हजारों बच्चों का जन्म हुआ है जिसे इस वायरस से जोड़ कर देखा जा रहा है। ब्राजील की स्थिति इस मायने में भी ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि यहां छह महीने बाद ओलंपिक का आयोजन होना है।
एेसी उम्मीद व्यक्त की जा रही है कि डब्ल्यूएचओ के जीका को लेकर वैश्विक स्वास्थ आपात की घोषणा के बाद इस खतरनाक वायरस से निपटने के प्रयासों में तेजी आयेगी। एक अनुमान के अनुसार इस वायरस को खत्म करने के लिये वैक्सीन तैयार करने में दो साल का समय लग सकता है जबकि इस वैक्सीन की वैश्विक स्तर पर उपलब्धता पर 10 वर्ष से अधिक का समय लग सकता है।

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