शब्दों के माध्यम से उकेरी गई आदिवासी, जंगल, पर्यावरण, नदी व प्रेम की खुबसूरती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

शब्दों के माध्यम से उकेरी गई आदिवासी, जंगल, पर्यावरण, नदी व प्रेम की खुबसूरती

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19 से 26 फरवरी 2016 तक के लिये आयोजित राजकीय जनजातीय हिजला महोत्सव अपने अवसान की ओर बढ़ रहा था। सूर्यदेवता विश्रामालय की ओर कूच कर रहे थे। संध्या पूरे मेला परिसर में अपने आधिपत्य की दुनिया बसाने जा रही थी। इधर प्रसिद्ध मयूराक्षी नदी के तट पर स्थित मेला परिसर के भीतरी प्रशाल में आदिवासी, जंगल, पर्यावरण और नदी की खुबसूरती को शब्दों के माध्यम से उकेरने की तैयारी चल रही थी। स्थानीय कवियों सहित प0 बंगाल से आमंत्रित कवियों की आपसी मंत्रणा जारी थी। दर्शकों के एक वर्ग में कविताओं को सुनने की बैचेनी साफ-साफ झलक रही थी। कौन कितनी जानदार कविता से लोगों को मंत्रमुग्ध कर सकता है तैयारी स्पष्ट थी। उप निदेशक सूचना एवं जनसम्पर्क संपप्र, दुमका अजय नाथ झा के संयोजकत्व मंे आयोजित दिन गुरुवार की कवि गोष्ठी में पूर्व विधायक व कवि कमलाकांत प्रसाद सिन्हा उर्फ लालू दा ने नदी का किनारा हो, लहरों का सरगम हो, चंचल हवाएँ हो, भींगा मौसम हो, प्यार हो और प्यार का सिलसिला हो..... जैसी कविता का सस्वर पाठ कर  लोगों का मन जीत लिया। कवि ने इस मौसम में प्यार की अलौकिक अनुभूति से सबका मन मोह लिया। 

भीतरी कलामंच पर पूर्व प्रतिकुलपति सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका डाॅ0 प्रमोदिनी हाँसदा की अध्यक्षता में आयोजित कवि गोष्ठी में एस0 पी0 महिला महाविद्यालय, दुमका की पूर्व प्राचार्य डाॅ0 वाणी सेन गुप्ता व डाॅ0 छाया गुहा जो मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि के रूप में गोष्ठी में मौजूद थीं ने बंग्ला में कविता पाठ कर अपनी-अपनी भावनाओं से श्रोताओं को अविभूत कर दिया। पत्रकार व कवि प0 अनुप कुमार बाजपेयी ने चल मरुस्थल भी चल का पाठ किया जो काफी सराहनीय रहा। पेशे से पत्रकार व साहित्यकार अमरेन्द्र सुमन ने पाकुड़ के लबदा ईसीआई मिशन में पिछले वर्षों हुए सामुहिक दुष्कर्म की घटना पर लिखी अपनी कविता ’’अपने ही लोगों के खिलाफ’’, व बलतोड़ कविता का पाठ कर भावनात्मक समर्थन प्राप्त किया। उनकी कविता में जहाँ एक ओर वेदना व असमर्थता का प्रस्फुटन था वहीं दूसरी ओर बेचारगी से बाहर निकलने की एक बड़ी प्रेरणा थी। प0 बंगाल के शान्ति निकेतन में शिक्षक डाॅ0 रामचन्द्र राय ने देश की वर्तमान स्थिति पर कविता के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। बिना बाहरी प्रकटीकरण के प्रेम की आंतरिक संरचनाओं को  अशोक सिंह ने अपनी कविता के माध्यम से प्रकट किया। विविध विषयों पर सस्वर कविता पाठ कर अलग-अलग कवियों ने दर्शकों को खूब आनंदित किया। मंच का संचालन सी0 एन0 मिश्रा किया। इस अवसर कविता प्रेमी कैप्टन कृष्णा दुबे, डाॅ0 रंजना मोदी, ई0 के0 एन0 सिंह, वंदना श्रीवास्तव, किर्ती किस्कू, अफरिन अफरोज, विद्यापति झा, मदन कुमार, गोपाल यादव, बालेश्वर राम, शैलेन्द्र सिन्हा, धनमुनी सोरेन, रीता देवी, चंद्रशेखर झा, अनुमंडल नाजीर सहित बड़ी संख्या में दर्शकगण मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन गौर कान्त झा ने किया।                                       

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