नयी दिल्ली, 23 फरवरी, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सांसदों को संसद के कामकाज में व्यवधान नहीं डालने की सलाह देते हुये आज कहा कि भारत विश्व की सबसे अधिक गतिशील अर्थव्यवस्था बन गया है और सरकार गरीबों की उन्नति, किसानों की समृद्धि और युवाओं को रोजगार दिलाने के लिये काम कर रही है। श्री मुखर्जी ने बजट सत्र के शुरू में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबाेधित करते हुये संसद के कामकाज, महत्व और मोदी सरकार की विकास योजनाओं की उपलब्धियों का विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य ‘सबका विकास’ है और इसके लिये वह निर्धन और वंचित वर्ग को सशक्त बनाने तथा सभी देशवासियों को देश की प्रगति में भागीदार बनाने के प्रयास में जुटी है। सरकार देश की सुरक्षा के प्रति और आतंकवाद से सख्ती से निपटने के लिये भी कृतसंकल्प है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रकरण को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में खींचतान के बीच शुरु हो रही संसद की कार्यवाही के लोकतांत्रिक प्रकिया में महत्व को रेखांकित करते हुये राष्ट्रपति ने सभी राजनीतिक दलों को नसीहत दी कि वे इसकी कार्यवाही में अवरोध डालने की बजाय देश के सामने मौजूद मुद्दों पर चर्चा और वाद -विवाद करें। उन्होंने कहा कि संसद जन आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती है तथा लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद -विवाद और चर्चा जरुरी है न कि अवरोध पैदा करना। उन्होंने विश्वास जताया कि संसद में होने वाली चर्चा उस भरोसे पर खरी उतरेगी जो हमारे नागरिकों ने हमारे प्रति जताया है।
भ्रष्टाचार से निपटने के सरकार के संकल्प को दोहराते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ किसी तरह की नरमी नहीं बरती जायेगी। सरकार ने एक ओर जहां भ्रष्टाचार की गुंजाइश समाप्त करने के उपाय किये हैं वहीं भ्रष्ट पाये गये व्यक्तियों को दंड देने में भी कोई नरमी नहीं बरती है। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में कड़े संशोधन भी किये जा रहे हैं ताकि भ्रष्टाचारियों के बचने कोई गुंजाइश ही न हो। उन्होंने कहा कि काले धन की समस्या से निपटने के लिये सरकार के सामंजस्यपूर्ण प्रयासों ने परिणाम दिखाने शुरू कर दिये हैं। कालेधन पर रोक लगाने के एक अधिनियम के तहत कड़े कानूनी प्रावधान किये गये हैं। देश के संसाधनों पर पहला अधिकार सबसे गरीब व्यक्ति का बताते हुये उन्होंने कहा कि गरीबी तथा अभाव को दूर करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। सरकार का मूलभूत सिद्धांत ‘सबका साथ सबका विकास’ है और वह गरीबों की उन्नति, किसानों की समृद्धि और युवाओं को रोजगार दिलाने के लिये समर्पित है। उन्होंने कहा, “सरकार का सर्वोपरि लक्ष्य गरीबी उन्मूलन है। गांधीजी ने कहा था कि गरीबी हिंसा का सबसे बुरा रूप है। प्रगति का सार इसी में है कि जो गरीब और वंचित हैं और समाज में हाशिये पर हैं, उनमें भी संतुष्टि का भाव हो। देश के संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार सबसे गरीब व्यक्ति का है। गरीबी और अभाव को दूर करना हमारी सबसे बड़ी नैतिक जिम्मेदारी है।”
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने खाद्य सुरक्षा, सबके लिये आवास और ऐसी सब्सिडियों पर अधिक जोर दिया है जो सबसे अधिक जरूरतमंद को तब जरूर मिले जब उसे उनकी सर्वाधिक आवश्यकता हो। प्रधानमंत्री जन धन योजना संसार का सफलतम वित्तीय समावेशन कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत खोले गये 21 करोड़ से भी अधिक खातों में से 15 करोड़ खाते चालू हालत में हैं जिनमें कुल 32 हजार करोड़ रुपये जमा हैं। यह कार्यक्रम बैंक में खाता खोलने तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि गरीबी उन्मूलन का एक माध्यम बन गया है जो निर्धनों को मूलभूत वित्तीय सेवायें और सुरक्षा मुहैया कराता है। श्री मुखर्जी ने कहा कि सरकार की अभिनव पहल से विश्व बैंक की कारोबार करने की सुगमता के मामले की नयी रैंकिंग में भारत 12 पायदान ऊपर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक विवादों के शीघ्र समाधान के लिए मध्यस्थता अधिनियम में संशोधन किए गये हैं। इसके साथ ही रोजगार चाहने वालों को रोजगार सृजक बनाने के उद्देश्य से कई सुधार किये गये हैं। सरकार ने स्टार्ट अप इंडिया अभियान शुरू किया है। इससे देश में नवाचार को मजबूती मिलेगी और उसके विस्तार में सहायता मिलेगा। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया से प्रतिकूल वैश्विक निवेश के माहौल के बावजूद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 39 फीसदी की बढोतरी हुयी है। स्किल इंडिया मिशन में तेजी आ चुकी है और इसके तहत पिछले एक वर्ष में लगभग 76 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। श्री मुखर्जी ने कहा कि बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम को सरलता से रिण उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गयी प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत बैंकों ने 2.6 करोड़ से अधिक उद्यमियों को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के रिण वितरित किये हैं।
अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए श्री मुखर्जी ने कहा कि लगातार उथल पुथल से गुजर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच भारत में आर्थिक स्थायित्व बना हुआ है। सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुयी है और दुनिया की बडी अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत दुनिया की सबसे गतिशील अर्थव्यवस्था बन गया है। मुद्रास्फीति, राजकोषीय घाटा और चालू खाता घाटा सभी कम हुये है। वर्ष 2015 में भारत का अब तक का सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार रहा है। राष्ट्रपति ने किसानों की समृद्धि को राष्ट्र के विकास का आधार बताते हुए कहा कि सरकार ने भूमि की उर्वरा शक्ति बढाने के लिए 2017 तक 14 करोड़ जोतधारकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड देने और आपदा से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई सुनश्चित करने जैसी किसान हित की कई योजनाएं शुरू कर दी हैं। किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिले और उत्पादन का ज्यादा लाभ मिले, इसके लिए 585 नियमित थोक बाजारों को एक साथ जोड़ने वाली एकीकृत राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना पर काम चल रहा है। श्री मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने पिछले वर्ष नयी यूरिया नीति जारी की है और इसके तहत अगले तीन साल के दौरान 17 लाख टन अतिरिक्त यूरिया का उत्पादन किया जाएगा। खाद्य प्रसंस्करण से किसानों की आय में बढाेतरी होती है और इसके लिए पिछले 19 माह के दौरान पांच नए फूड पार्क शुरू किए गए हैं। पूर्वी राज्यों में कृषि क्षमता के भरपूर इस्तेमाल के लिए द्वितीय हरित क्रांति शुरू करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। इसके तहत 109 नए कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना की जा रही है जिससे कृषि क्षेत्र में उच्च शिक्षा को मजबूती मिलेगी। राष्ट्रपति ने कहा कि मौजूदा सरकार ने देश में बिजली और सड़कों की कमी दूर करने के लिए उल्लेखनीय कदम उठाएं है और 2018 तक सभी गांवों में बिजली पहुंचा दी जाएगी तथा 2019 तक पौने दो लाख से अधिक गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ा जाएगा। श्री मुखर्जी ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में ऊर्जा की कमी चार प्रतिशत से घटकर 2.3 रह गयी है और स्थापित सौर ऊर्जा की क्षमता लगभग दोगुनी हुई। सरकार मई 2018 तक देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य बिजली बोर्डों को घाटे से उबारने तथा उन्हें वित्तीय सहयोग देने के लिए उज्ज्वल डिस्कॉम आश्वासन योजना(उदय) शुरू की गयी है जिससे अब तक कई राज्य जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मार्च 2019 तक ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के अंतर्गत एक लाख 78 हजार गांवों को पक्की सड़क से जाेड़ देगी और 7200 किलोमीटर लम्बे राजमार्गों का निर्माण पूरा करेगी। सरकार के राजमार्ग निर्माण क्षेत्र में उल्लेखनीय कदम उठाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अब तक 12 हजार 900 किमी लम्बे राजमार्गों के निर्माण का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सड़कों के निर्माण के क्षेत्र में यह किसी सरकार की अब तक की सर्वाधिक स्वीकृति है। राष्ट्रपति ने पड़ाेसी देशों के साथ विवाद रहित एवं विकास की दिशा में सहयोग की नीति को रेखांकित करते हुए कहा कि सरकार वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत के प्रति वचनबद्ध है। अपने पड़ोसी देशों के साथ संपर्क बढ़ाने के लिए उठाए गए उसके कदमों में इस सिद्धांत की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि सरकार पाकिस्तान के साथ सम्मानजनक आपसी संबंध बढ़ाने और सीमापार आतंकवाद का सामना करने के लिए सहयोग का माहौल तैयार करने के प्रति कृत-संकल्प है।

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