विशेष : स्मृति ईरानी ने मोदी को भी पछाड़ा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

विशेष : स्मृति ईरानी ने मोदी को भी पछाड़ा

जी हां, लोकसभा में जिस तरह स्मृति ईरानी ने झूठ के सहारे लगातार हमला बोल रहे विपक्षियों को आपा खोए बगैर सधे अंदाज में विपक्षियों को एक-एक कर जवाब दिया, वह बेमिसाल, अद्भूत व अकल्पनीय है। बगैर अगली-बगली ताक-झाक सरपट अंगेजी में चाहे वह रोहित वेमुला प्रकरण रहा हो या जेएनयू में पल-बढ़ रहे द्रेशद्रोहियों का मसला, बारी-बारी से साक्ष्यों के साथ प्रस्तुति दी उससे विपक्षियों की बोलती बंद हो गयी। इस बेहिचक प्रस्तुति को देखकर कहा जा सकता है कि वह भाषण के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी दो कदम आगे निकल गयी है। बीच-बीच में जिस तरह उन्होंने राहुल गांधी को घेरा, उससे तो लग रहा था यूपी  में होने वाला 2017 विधानसभा चुनाव की कमान उन्हें ही मिलने वाली है। फिरहाल, वह इस काबिल है और बेशक यूपी में एक सफल मुख्यमंत्री के तौर पर उभर सकती है इससे इंकार नहीं किया जा सकता। 
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राज्यसभा में रोहित वेमुला खुदकुशी मामले में जिस तरह मायावती ने स्मृति ईरानी को घेरने की कोशिश की, उसका पलटवार जवाब में उन्होंने धोबिया पाट दांव से एक-एक कर उत्तर दी, मायावती समेत सारा विपक्ष चारों खाना चित नजर आई। खासकर उस वक्त जब स्मृति ईरानी ने कहा, बहनजी मेरे बयान से यदि आप संतुष्‍ट नहीं हुईं तो मैं आपके कदमों सिर चढ़ा दूंगी और डबडबाई आंखों से कहा, एक मां पर बच्चे की हत्या का इल्जाम लगाया गया है, जवाब देकर रहूंगी। मेरा मंत्रालय सबकी बात सुनता है, सिर्फ अपनों की नहीं। मैंने चाहे ओबैसी हो या अन्य सांसदों की सिफारिशों पर उनके बच्‍चों का एडमिशन कराया है, आज वो मुझसे जवाब मांग रहे हैं। अपने कर्तव्‍यों के लिए मैं माफी नहीं मांगूंगी। ओवैसी, शशि थरूर, हनुमंत राव की चिट्ठियों का मैंने जवाब दिया है। रो‍हित मामले पर मैंने तेलंगाना सीएम को फो‍न किया, पर आज तक उनका पलटकर फोन नहीं, मैं इंतजार ही कर रही हूं। रोहित की मौत का अब लोग राजनैतिक रोटी सेक रहे है। मैं अमेठी से चुनाव लड़ी इसलिए मुझे सूली पर चढ़ाया जा रहा है। मेरा नाम स्‍मृति है, चुनौती देती हूं कि आप मेरी जाति बताकर दिखाइए। एक मां पर खून का इल्‍जाम लगाया गया, जो बर्दाश्‍त नहीं। 600 छात्रों की मौत पर तो राहुल गांधी आंध्र नहीं गए, लेकिन वह मुझसे सवाल कर रहे है और जेएनयू में जाकर देशद्रोहियों का समर्थन कर रहे है। बात यही तलक नहीं थमी, राहुल के जरिए स्मृति इंदिरा गांधी तक पहुंच गयी। कहा, इंदिरा ने बेटे को प्रधानमंत्री बनाने के लिए देशद्रोहियों का समर्थन तो नहीं किया था, लेकिन सोनिया जी कर व करवा रही है, जो दुभाग्र्यपूर्ण है। 

स्मृति ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। कहा, ‘‘सत्ता तो इंदिरा गांधी ने भी खोई थी। लेकिन उनके बेटे ने कभी देश विरोधी नारों का समर्थन नहीं किया था।’’ ‘राहुल कहते कि ‘आओ स्मृति ईरानी! हम चलकर जेएनयू स्टूडेंट्स से कहें कि जिन जवानों ने अपनी कुर्बानी दी है, उनके खिलाफ नारे मत लगाओ’ तो कुछ बात होती।’’ लेकिन ऐसा करने के बजाय उन द्रेशद्रोहियों का सर्पोट कर रहे है, जिन्हें जेएनयू प्रशासन खुद कहता है वह देशद्रोही है। राहुल अमेठी जाकर कहते हैं की सभी वीसी आरएसएस के हैं। मैं कहना चाहती हूं कि अगर कोई ये साबित कर दे कि मैंने यूनिवर्सिटीज का भगवाकरण किया है तो मैं राजनीति छोड़ दूंगी। स्मृति ने कहा- ‘‘जिन्हें उन लोगों ने जल्लाद कहा था, आज उनके घर ही (सुप्रीम कोर्ट में बेल के लिए) दस्तक देनी पड़ी है। यही मेरे लोकतंत्र की ताकत है। जेएनयू का एक और पोस्टर कहता है- सुप्रीम कोर्ट जज, फासिस्ट इंडिया और स्टेट याकूब मेमन से डर रहे थे। हमें इस ज्यूडिशियल मर्डर के खिलाफ होना चाहिए।’ जेएनयू में क्या होता है- उसका उदाहरण देती हूं। दो प्रोफेसरों ने कश्मीर सॉलिडैरिटी रैली जेएनयू में निकाली थी। तब यूपीए की सरकार थी।’’ कैंपस में दो प्रोफेसरो ने कश्मीर सॉलिडेट्री रैली निकाली थी। वीसी को हमने नहीं अप्वाइंट किया। राष्ट्रपति ने उन्हें अप्वाइंट किया। स्मृति ने कहा- ‘‘यूनिवर्सिटी सिक्युरिटी डिपार्टमेंट के 35 गार्ड और 3 महिला गार्ड मौके पर थे। उन्होंने 11 फरवरी 2016 को बयान में कहा कि वहां भीड़ बढ़ने लगी। उमर खालिद, अनिर्बान मौजूद थे। वहां अफजल गुरु के नारे लग रहे थे। कहा जा रहा था- ‘जिस कश्मीर को खून बंदूक से लेंगे आजादी। गो इंडिया गो बैक। इंडियन आर्मी मुर्दाबाद।’ दो-तीन और लोग थे मुंह पर कपड़ा लगाए। 

उमर खालिद ने यूनिवर्सिटी से प्रोग्राम इजाजत मांगी। यूनिवर्सिटी ने पूछा- क्यों जगह चाहिए? उमर ने लिखा- पोएट्री रीडिंग के लिए। यूनिवर्सिटी ने पूछा- और कुछ चाहिए? उमर ने लिखा- हां, माइक के लिए इलेक्ट्रिसिटी चाहिए। 600 स्टूडेंट्स तेलंगाना मूवमेंट में मारे गए। राहुल क्या कभी गए? कभी नहीं गए। लेकिन इस केस में उन्हें राजनीतिक मौका नजर आया। इस केस का राजनीतिक फायदे के लिए आप लोगों ने इस्तेमाल किया।’ अगले दिन सुबह 6.30 बजे तक किसी ने डॉक्टर को उसके (रोहित वेमुला के) पास जाने की इजाजत नहीं दी। बच्चे की बॉडी का छिपे हुए पॉलिटिकल टूल के लिए इस्तेमाल हुआ। जो नारे लगा रहे थे, वे इंसाफ नहीं, राजनीति चाहते थे।’ ऑर्डर की सिचुएशन ना हो, मदद कीजिए। मुझे कहा गया कि साहब बिजी हैं। उनकी बेटी से भी बात हुई। मुझे आज तक उनके फोन का इंतजार है। ‘हाईकोर्ट में पुलिस ने कहा कि सूचना शाम को मिली। कमरा खुला था। बॉडी फंदे से उतार ली गई थी। हाथ से लिखा नोट मिला था। उसमें किसी को मौत के लिए जिम्मेदार नहीं उठाया गया था।’ स्मृति ने कांग्रेस की तरफ इशारा कर कहा- ‘आपकी इच्छा जवाब सुनने की थी ही नहीं, नीयत में खोट थी।’ हनुमंत रावजी ने मुझे लिखा कि कांग्रेस के कार्यकाल में जिस वीसी का अप्वाइंटमेंट हुआ, उनके कार्यकाल में आत्महत्या हुई। जैसे ही मुझे घटना (रोहित के सुसाइड) की खबर मिली कि केसीआर जी को मैंने फोन किया। मैंने उनसे कहा कि लॉ एंड ठीक करिए। ‘मुझे सूली पर चढ़ाया जा रहा है क्योंकि मेरे विभाग ने पत्र लिखा था?’ कांग्रेस के पूर्व मंत्री ने कहा था कि दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर के बाद सोनिया जी खूब रोईं थीं। ये मैं नहीं उनके मंत्री ही कह चुके हैं। लेकिन उस दौरान शहीद होने वाले पुलिस वाले के घर नहीं गए। आज उन्हें तय करना होगा कि वे अफजल के सपोर्ट में हैं, देशभक्तों के साथ। 





(सुरेश गांधी)

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