अमेरिकी सांसदों के पत्र दुर्भाग्यपूर्ण : भारत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

अमेरिकी सांसदों के पत्र दुर्भाग्यपूर्ण : भारत

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नयी दिल्ली, 29 फरवरी, देश में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिकी सांसदों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखी चिट्ठी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए भारत ने आज कहा कि सरकार संविधान के अनुरूप देश के बहु-जातीय बहु- सांस्कृतिक स्वरूप के प्रति पूर्ण रूप से कृत संकल्प है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने आज कहा ,“हमने अमेरिकी कांग्रेस के कुछ सदस्यों द्वारा प्रधानमंत्री को धार्मिक स्वतंत्रता पर लिखा गया पत्र देखा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन सांसदों ने भारत के बहुलतावादी समाज, जिसकी सर्वसमावेशी एवं सहिष्णु स्वरूप के प्रति लंबे अरसे से प्रतिबद्धता रही है, की सराहना करने की बजाय चंद घटनाओं पर ध्यान केन्द्रित किया है।” प्रवक्ता ने कहा कि भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र हाेने पर नाज़ है। भारतीय संविधान अल्पसंख्यकों सहित अपने सभी नागरिकाें को मूलभूत अधिकारों की गारंटी देता है। यदि कोई अपवाद होता है तो हमारी आंतरिक प्रक्रिया में स्वतंत्र न्यायपालिका, स्वायत्त राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, सतर्क मीडिया और जीवंत नागरिक समाज के माध्यम से उससे निपटा जाता है। प्रवक्ता ने कहा कि सरकार संविधान के सिद्धांतों के प्रति पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है जो 1.25 अरब लोगों के राष्ट्र को एक बहुजातीय एवं बहुधर्मी समाज के रूप में बनाये रखने में कारक हैं। उल्लेखनीय है कि 34 शीर्ष अमेरिकी सांसदों ने भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर गंभीर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी को लिखे एक पत्र में उनसे अल्पसंख्यकों के मूल अधिकारों का संरक्षण करने के लिए फौरन कदम उठाने और इसका हनन करने वाले को न्याय के दायरे में लाने का आग्रह किया है। 

पत्र में इन सांसदों ने कहा है, ‘‘हम सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए फौरन कदम उठाने की मांग करते हैं कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के मूल अधिकारों का संरक्षण किया जाए और हिंसा करने वालों को जवाबदेह ठहराया जाए।’’ इन सांसदों में आठ सीनेटर भी शामिल हैं। 25 फरवरी को लिखे पत्र में कहा गया है कि भारत के ईसाई, मुसलमान और सिख समुदायों से होने वाला बर्ताव विशेष चिंता की बात है। यह पत्र कल अपने देश में टॉम लंटोस मानवाधिकार आयोग ने प्रेस को जारी किया गया। सांसदों ने प्रधानमंत्री से आरएसएस जैसे संगठनों की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने और कानून का शासन लागू करने तथा अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक रूप से प्रेरित उत्पीडऩ एवं हिंसा से सुरक्षा के लिए सुरक्षा बलों को निर्देश देने की मांग की। 
पत्र में आरोप लगाया गया है कि 17 जून 2014 को छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में 50 ग्राम परिषदों ने अपने समुदायों में सभी गैर हिंदू धार्मिक दुष्प्रचार, प्रार्थना और भाषण पर प्रतिबंध लगाने का एक प्रस्ताव स्वीकार किया था। इससे ईसाई समुदाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। प्रतिबंध लागू होने पर बस्तर जिले में ईसाइयों पर बार बार हमले किए गए, सरकारी सेवाएं रोकी गई, वसूली की गई, जबरन निकालने की धमकी दी गई, भोजन पानी रोका गया और हिंदू धर्म स्वीकार करने के लिए दबाव डाला गया। भारत में गोमांस पर प्रतिबंध पर चिंता जताते हुए सांसदों ने कहा कि यह तनाव बढ़ा रहा है और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे रहा। उन्होंने सिख समुदाय के विशिष्ट धर्म के रूप में पहचान नहीं होने पर भी चिंता जताई। हालाँकि अमेरिकी कांग्रेस और सीनेट सदस्यों ने देश में धार्मिक स्वतंत्रता और साम्प्रदायिक सौहार्द की सराहना भी की। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फरवरी 2014 में किया गया वायदा भी है कि आस्था की पूरी आजादी होगी और किसी भी धार्मिक समूह को अन्य के खिलाफ नफरत नहीं फैलाने दिया जायेगा । उन्होंने उनसे अपने वादे को कार्यरूप में तब्दील करने का अनुरोध किया है।

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