जी हां, यूपी की फिजाओं में यादव सिंह एक ऐसा नाम है जिसे नौकरशाही व सियासी के दांव में एक रिंग मास्टर के तौर पर जाना जाता है। बुधवार को सीबीआई ने गाजियाबाद में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया है। यादव सिंह पर सौ करोड़ से भी अधिक के घोटाले का आरोप है
यादव सिंह वह सख्श है जिसे जैसे चाहता था अपने इशारों पर नचाता रहा और अपने हिसाब से समीकरण बनाता रहा है। बसपा सरकार रही हो या फिर सपा की, उसने अपने हिसाब से अपनी तैनाती कराई। शायद यही वजह है कि 1989 से 2014 तक लगातार वह तरक्की की सीढि़या चढ़ता रहा। उसकी रसूख और सियासत किस कदर सत्ता के गलियारों में सिर चढ़कर बोलती रही इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है तमाम आरोपों व घोटालों की जांचोपरांत पुष्टि हो जाने के बाद बार-बार कार्रवाई की सिफारिशें भेजी जाती रही, और कार्रवाई की फाइलें एक-एक कर बंद होती रही। नतीजा, 2012 में जब अखिलेश सिंह यादव की सरकार बनी तो मानों उसकी लाॅटरी ही लग गयी और एक झटके में उसे तीन-तीन विभागों का अथार्रिटी आॅफ चीफ बना दिया गया। आयकर टीम के हाथ लगी अब तक की दस्तावेजों की मानें तो भारत में हुए घोटालों को यादव सिंह ने मात दे दी है। उनके पास से मिले बेशुमार अकूत धन कितना है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नोटों को मशीन से गिनना पड़ता था। वह भी बाकायदा दिल्ली के पंचसितारा होटल में। जो लोग पंचसितारा होटल में नोट गिनते थे उन्हें नोएडा अथाॅरिटी में करोड़ों के फलैट दिए गए है। देश के नामी बैंकों के कंसलटैंट यादव सिंह को निवेश की सलाह देते रहे।
बड़ी बात तो यह है कि मशीन से गिनी गयी इन नोटों की काली छाया इनकम टैक्स की नजर न पड़े इसके लिए वह सिंगापुर के बैंको में जमा कर रखी है, वह भी करोड़, दो-चार करोड़ नहीं बल्कि पूरे सौ करोड़ से भी अधिक। मतलब साफ है अगर इस इंजिनियर को करप्सन का किंग या यूं कहें नटवर लाल कहा जाएं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। भला क्यों नहीं अगर एक साधारण सरकारी इंजिनियर की बात की जाएं तो वह रिटायरमेंट तक एक घर, बच्चों की ठीक-ठाक परवरिश, बेटे-बेटियों की शादी और बुढ़ापे के लिए कुछ जमा पूंजी ही अर्जित कर सकता है। लेकिन अगर गोलमाल करने में महारत हासिल हो तो कितना कमा सकता है एक इंजिनियर, इसका उदाहरण यादव सिंह के सिवा दुसरा कोई नहीं हो साकता। जिसके पास 10, 20, 50 करोड़...नहीं, पूरे 1000 करोड़! का ाम्राज्य। इतना ही नहीं इस कालेधन को बचाने के लिए व ठेकाने के लिए बकायदा एकाउंटेंसी विशेषज्ञों की टीम गठित कर ली थी। बता दें बसपा सरकार में मनमाने ढंग से 954 करोड़ रुपए की धांधली के आरोपों में घिरे यादव सिंह पर अखिलेश सरकार ने कार्रवाई की बात कह कर अपने गिरफत में ले लिया। इसके लिए बकायदा यादव सिंह के खिलाफ नोएडा के थाने में केस दर्ज कर निलंबित भी कर दिया गया। लेकिन जब लेनदेन की सेटिंग पक्की हो गयी तो वह बसपा की ही तरह अखिलेश का भी खासमखास बन गया। नवंबर-2013 में यादव सिंह को बहाल कर तीन-तीन अथाॅरिटीयों की कमान सौंप दी गयी।
(सुरेश गांधी)

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