नयी दिल्ली 10 मार्च , उद्योगपति विजय माल्या के देश छोडने का मुद्दा आज राज्यसभा में उठा जहां विपक्ष ने श्री माल्या के पासपोर्ट जब्त नहीं करने और उनके भागने में साथ देने का आरोप लगाया वहीं सरकार ने कहा कि किसी भी दिवालिये को छोडा नहीं जायेगा और उनके विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है। सदन की कार्यवाही शुरू होते की विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इस मुद्दे को उठाते हुये कहा कि नौ हजार करोड रुपये से अधिक का ऋण लेकर श्री माल्या देश छोडकर भाग गये हैं। दुनिया के अधिकांश देशों में घर रखने वाले और विलासिता की जिंदगी जीने वाले इस व्यक्ति का पासपोर्ट क्यों जब्त नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि उस व्यक्ति के विरूद्ध केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने जुलाई 2015 में मामला दर्ज किया था और अभी सीबाआई सहित चार प्रमुख एजेंसियां उनके विरूद्ध जांच कर रही है।
श्री आजाद ने कहा कि श्री माल्या काेई सूई नहीं है जो देश छाेड गये और किसी ने उन्हें देखा तक नहीं। उन्हें एक किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है। उनके साथ पूरा लावलश्कर होता है। अब उनके विरूद्ध लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। उन्हें पहले ही गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। उनका पासपोर्ट जब्त किया जाना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि श्री माल्या को भागने में सरकार ने साथ दिया है और इसलिए इस मामले में सरकार को भी पक्ष बनाया जाना चाहिए। इस पर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि श्री माल्या की कंपनी को सितंबर 2004 में ऋण दिया गया था। इसके बाद दो फरवरी 2008 को ऋण का नवीनीकरण किया गया और वित्तीय स्थिति खराब होने के बावजूद 21 दिसंबर 2010 को ऋण का पुनगर्ठन किया गया तथा कई तरह की सुविधायें दी गयी। उन्होंने कहा कि श्री माल्या पर 9900 करोड रुपये से अधिक की देनदारी है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें