- जेपी गोलबंर पर पुलिस के साथ झड़प,इनौस के राज्य अध्यक्ष राजू यादव, आइसा राज्य सचिव अजीत कुशवाहा सहित कई छात्र-युवा नेता गिरफ्तार
- जेएनयू के छात्रों पर से देशद्रोह का मुकदमा वापस लेने और रोहित एक्ट बनाने की कर रहे थे मांग.
- देशद्रोह का झूठा मुकदमा झेल रहे आशुतोष कुमार, आइसा महासचिव संदीप सौरभ, इनौस नेता नवीन कुमार ने किया मार्च का नेतृत्व.
पटना: 12 मार्च 2016, प्रधानमंत्री के आज बिहार आगमन पर आइसा-इनौस ने काले झंडे के साथ प्रतिरोध मार्च निकाला. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गो बैक, शैक्षणिक संस्थानों को बर्बाद करने की साजिश मुर्दाबाद, जेएनयू के छात्रों पर से देशद्रोह के झूठे मुकदमे वापस लो, शैक्षणिक संस्थानों पर संघी कहर पर रोक लगाओ, संस्थानों में सामाजिक भेदभाव पर रोक लगाने के लिए रोहित ऐक्ट को लागू करो, भगत सिंह -अंबेडकर का राश्ट्रवाद जिंदबाद आदि नारे लगाते हुए आइसा-इनौस से जुड़े छात्र-युवाओं ने गांधी मैदान स्थित सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा से आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया.
जेपी गोलबंर पर पुलिस से उनकी तीखी झड़प हुई. आंदोलकारी आगे बढ़ना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने प्रदर्शन को आगे बढ़ने से रोक दिया और सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी देने वाले प्रमुख नेताओं में इनौस के राज्य अध्यक्ष राजू यादव, आइसा के राज्य सचिव अजीत कुशवाहा, आइसा के राज्य सह सचिव तारिक, सुधीर कुमार, आकाश कश्यप, शब्बीर, निखिल, अभय कुशवाहा, संदीप, अमित, विकास, बंटी, रवि प्रजापति, बाबू साहब आदि शामिल हैं. जबकि प्रदर्शन में देशद्रोह का मुकदमा झेल रहे जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष व आइसा नेता आशुतोष कुमार, आइसा के महासचिव संदीप सौरभ और इनौस के राज्य सचिव नवीन कुमार शामिल थे.
इनौस के राज्य सचिव नवीन कुमार ने गिरफ्तारी की निंदा की है और कहा है कि संघ परिवार की तथाकथित राष्ट्रभक्ति के खिलाफ हम छात्र-युवा भगत ंिसह व डाॅ. अंबेडकर के रास्ते लगातार आगे बढ़ते रहेगी. देशद्रोह का झूठा आरोप झेल रहे आइसा नेता आशुतोष कुमार ने कहा कि रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या के विरोध में आंदोलन के कारण उन पर और उनके साथियों पर देशद्रोह का इल्जाम लगाया गया। नेताओं ंने कहा कि भाजपा और आरएसएस जो कर रहे हैं, वह राष्ट्रवाद नहीं बल्कि फासीवाद है, जो मीडिया के कंधे पर सवार होकर आ रहा है। भारत में राष्ट्रवाद साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष के जरिए विकसित हुआ था, जिससे आरएसएस हमेशा अलग रहा। उसने स्वाधीनता आंदोलन से गद्दारी की और राष्ट्रीय झंडे की भी विरोधी रही। दरअसल आज भाजपा के सारे जुमलों की विफलता साबित हो गई है, इसी कारण वह आने वाले चुनावों के लिए उन्माद भड़का रही है। लेकिन एक बड़ी जनगोलबंदी के जरिए इनकी फासीवादी साजिश का जवाब दिया जाएगा। भगतसिंह की शहादत दिवस 23 मार्च से लेकर अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल तक पूरे देश में मोदी सरकार की साजिशों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।

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