जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह डॉन बृजेश सिंह बने एमएलसी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


सोमवार, 7 मार्च 2016

जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह डॉन बृजेश सिंह बने एमएलसी

  • सपा के मीना को 1984 मतों से हराया 
  • मुख्तार अंसारी समेत अंडरवलर््उ डान दाउद इब्राहिम तक को दी है शिकस्त 

brajesh singh mlc up
वाराणसी (सुरेश गांधी )। सत्ता पक्ष की तमाम हनक व हथकंडों के बावजूद जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह डाॅन बृजेश सिंह जेल के सलाखों में रहते हुए अब राजनेता बन गया है। यह तगमा इसके पहले घूर प्रतिद्वंदी रहे मुख्तार अंसारी को मिल चुका है। श्री अंसारी अपने क्षेत्र से कई बार विधायक बन चुके है। रविवार को एमएलसी चुनाव की मतगणना के बाद डाॅन ने सपा के निकटतक प्रतिद्वंदी मीना सिंह को 1084 मतों से शिकस्त देकर अपनी जीत दर्ज कराई हैं। डॉन को कुल 3038 वोट मिला। जबकि मीना सिंह को 1984 मत मिला। इस तरह 1084 मतों से डाॅन को विजयी घोषित किया गया। हालांकि इसके पहले डाॅन की पत्नी ही इस सीट पर एमएलसी थी और वह भी निर्दल ही थी। जीत के बाद बृजेश सिंह के भतीजे सुजीत सिंह ने जनता के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, वह निर्दोश जनता का उत्पीड़न किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं करेंगे। वह जनता की समस्याओं को प्रमुखता से निपटाना चाहते हैं। वाराणसी, भदोही और चंदौली के गांवों के विकास में धन की कमी नहीं होने देंगे। उनके हिस्से का जो भी राशि होगी उसे शत-प्रतिशत जनता के समस्याओं को निजात दिलाने के लिए खर्च करेंगे। 

बता दें, यूपी में एमएलसी के 28 पदों के लिए हुए चुनाव में 23 सीटों पर सपा के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। इस चुनाव में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मि‍ली। लेकिन वाराणसी-भदोही-चंदौली सीट पर डाॅन को भाजपा का अप्रत्यक्ष समर्थन था। इस चुनाव में सपा के 8 सदस्य पहले ही नि‍र्वि‍रोध चुने गए थे। इस तरह से सपा को कुल 31 सीटों पर जीत हासिल हुई। लखीमपुर में सपा के शशांक यादव ने बीजेपी के इतेंद्र वर्मा को हराया। बरेली में सपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने बीजेपी के पीपी पटेल को 1323 वोटों से हराया। बदायूं में सपा प्रत्याशी बनवारी सिंह यादव ने बीजेपी के जितेंद्र यादव को 1723 वोटों से हराया। सुल्तानपुर में सपा प्रत्याशी शैलेंद्र सिंह ने बीजेपी के केसी त्रिपाठी को हराया। झांसी से सपा प्रत्याशी रमा निरंजन ने 2800 वोटों से जीत हासिल की। बस्ती में सपा प्रत्याशी संतोष यादव ने बीजेपी के गिल्लम चैधरी को हराया। फैजाबाद में सपा प्रत्याशी हीरालाल यादव ने बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्र पांडेय को हराया। देवरिया में सपा प्रत्याशी रामअवध यादव ने बीएसपी के अजीत शाही को 1381 वोटों से हराया। बलिया में सपा प्रत्याशी रवि शंकर सिंह ने बीजेपी के ठाकुर अनूप सिंह को हराया। रायबरेली में कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने बीजेपी के सुरेंद्र बहादुर को हराया। गोंडा में सपा प्रत्याशी महफूज खान ने बीजेपी प्रत्याशी राजेश सिंह को 2453 वोटों से हराया। मिर्जापुर में सपा प्रत्याशी रामलली मिश्रा ने बीएसपी प्रत्याशी विनीत सिंह को हराया। हरदोई में सपा प्रत्याशी मिसबाहुद्दीन ने बीजेपी के राजकुमार अग्रवाल को हराया। बाराबंकी में सपा प्रत्याशी राजेश यादव ने जीत हासिल की। मुरादाबाद में सपा प्रत्याशी परवेज अली ने बीजेपी की आशा सिंह को 4434 वोटों से हराया। गाजीपुर में निर्दलीय प्रत्याशी विशाल सिंह चंचल ने सपा के सानंद सिंह को 65 वोटों से हराया। शाहजहांपुर में सपा प्रत्याशी अमित यादव उर्फ रिंकू ने बीजेपी के जेपीएस राठौर को 2207 वोटों से हराया। बहराइच में सपा प्रत्याशी अभिलाश खां ने बीजेपी के त्रिपुरारी मणि त्रिपाठी को 705 वोटों से हराया। गोरखपुर में सीपी चंद्र ने सपा प्रत्याशी जय प्रकाश यादव को 1589 वोटों से हराया। फतेहपुर में सपा प्रत्याशी दिलीप सिंह उर्फ पप्पू यादव ने बीएसपी के अशोक कटियार को 1787 वोटों से हराया। बुलंदशहर में सपा प्रत्याशी नरेंद्र भाटी ने बीजेपी के संजय शर्मा को 1018 वोटों हराया। जौनपुर में बीएसपी प्रत्याशी ब्रजेश कुमार सिंह ने सपा के लल्लन यादव को 765 वोटों से हराया। आजमगढ़ में सपा प्रत्याशी राकेश यादव ने बीजेपी के राजेश सिंह को हराया। सहारनपुर में बीएसपी प्रत्याशी महमूद अली ने बीजेपी के सूरत सिंह वर्मा को 1367 वोटों से हराया। कौशांबी में सपा प्रत्याशी वासुदेव यादव ने बीजेपी के रईस शुक्ला को 257 वोटों से हराया। इटावा में सपा प्रत्याशी पुष्पराज जैन ने 3515 वोट के साथ जीत हासिल की। अलीगढ़ सीट पर सपा प्रत्याशी जसवंत सिंह जीते। मुरादाबाद में परवेज अली की बड़ी जीत, बीजेपी प्रत्याशी की जमानत जब्त। 

बृजेश से है मुख्तार की खुली अदावत 
वाराणसी। डाॅन बृजेश सिंह ने जरायम की दुनिया में कदम सिर्फ अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए रखा। लेकिन बाद में धीरे-धीरे दुश्मनी से रंगदारी के रास्ते कोयला, रेशम, रेलवे आदि का ठेकेदारी में वर्चस्व की लड़ाई में तब्दील हो गयी। इसके बाद तो वह यूपी ही नहीं बिहार, मध्यप्रदेश सहित पूरे भारत में नेटवर्क फैल गया और अंडरवल्र्ड डाॅन दाउद तक को मात देने के बाद आत्मसमर्पण कर दिया। बृजेश सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह का जन्म वाराणसी में हुआ। उनके पिता रविंद्र सिंह इलाके के रसूखदार लोगों में गिने जाते थे। राजनीति में भी उनकी पैठ थी। बृजेश सिंह बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी होनहार थे। 1984 में इंटर की परीक्षा में उन्होंने बहुत अच्छे अंक हासिल किए थे। इसके बाद उन्‍होंने यूपी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की। वहां भी उनका नाम होनहार छात्रों की श्रेणी में आता था। लेकिन पिता की हत्‍या उन्‍हें अपराध की दुनिया में ला दिया। 
बता दें, 27 अगस्त 1984 में पिता की हत्‍या के बाद बृजेश सिंह ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। इस हत्‍याकांड का अंजाम बृजेश के विरोधी हरिहर सिंह और पांचू सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर दिया था। पिता की मौत का बदला लेने के लिए बृजेश सिंह ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। एक साल बाद 27 मई 1985 को रविंद्र सिंह का हत्यारा बृजेश के सामने आ गया। बृजेश सिंह ने दिनदहाड़े अपने पिता के हत्यारे हरिहर सिंह को मौत के घाट उतार दिया। यह पहला मौका था जब बृजेश के खिलाफ पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ। वारदात के बाद फरार हो गए। इसके बाद हरिहर को मौत के घाट उतारने के बाद बृजेश सिंह ने पिता के अन्‍य हत्‍यारोपियों की तलाश शुरू कर दी। 9 अप्रैल 1986 के दिन उन्‍होंने पिता की हत्या में शामिल रहे 5 लोगों को एक साथ गोलियों से भून डाला। इस वारदात को अंजान देने के बाद बृजेश पहली बार गिरफ्तार हुए। इसके बाद बृजेश को जेल भेज दिया गया। इसी दौरान उनकी मुलाकात गाजीपुर के मुडियार गांव में त्रिभुवन सिंह से हुई। बृजेश और त्रिभुवन के बीच दोस्ती हो गई और दोनों मिलकर साथ काम करने लगे। धीरे-धीरे इनका गैंग पूर्वांचल में सक्रीय होने लगा। दोनों मिलकर यूपी में शराब, रेशम और कोयले के धंधे में उतर आए। असली खेल तब शुरू हुआ जब बृजेश सिंह और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी कोयले की ठेकेदारी को लेकर आमने-सामने आ गए। ठेकेदारी और कोयले के कारोबार को लेकर दोनों गैंग के बीच कई बार गोलीबारी हुई। दोनों तरफ से जानमाल का नुकसान भी हुआ। 
90 के दशक में बृजेश सिंह का यूपी के बाहुबली मुख्‍तार अंसारी के गैंग से आमना-सामना हुआ। इस दौरान वह पुलिस और मुख्‍तार के गैंग से बचने के लिए मुंबई चले गए। यहां पहुंचने के बाद दाऊद के करीबी सुभाष ठाकुर से मुलाकात की। फिर इनके माध्‍यम से दाऊद से मिले। दाऊद के जीजा इब्राहिम कासकर की हत्या का बदला लेने के लिए ब्रृजेश ने 12 फरवरी 1992 को जेजे अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टर बनकर गवली के गैंग के 4 लोगों को पुलिस के पहरे के बीच मार दिया। उनकी इस शातिराना चाल देखकर दाऊद बृजेश के दिमाग का लोहा मान गया। इसके बाद दोनों बेहद करीब आ गए। इस प्रकार घरेलू हत्याओं से अपराध की दुनिया में आने वाले वाले बृजेश सिंह की दाऊद से दोस्‍ती हो गई। हालांकि, 1993 में हुए मुंबई ब्लास्ट के बाद दोनों में मतभेद हो गया। पहले दोनों का उद्देश्य गैरकानूनी काम करके पैसा कमाना और अपराध की दुनिया में एकछत्र राज्य कायम करना था। जानकारों की मानें तो बृजेश सिंह मुंबई को दहलाने की दाऊद की योजना से पूरी तरह अनजान थे। इस ब्लास्ट में हजारों बेगुनाह मारे गए या घायल हुए। इस वारदात से बृजेश सिंह को गहरा आघात लगा। दाऊद के इस कदम के बाद दोनों के बीच एक दीवार खड़ी हो गई। माना जाता है कि इसके बाद दोनों एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गए। हालांकि, मुंबई ब्लास्ट के पहले ही दाऊद ने देश छोड़ दिया।

कोई टिप्पणी नहीं: