अल्लाह के 99 नाम, लेकिन किसी का अर्थ हिंसा नहीं है : प्रधानमंत्री मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 18 मार्च 2016

अल्लाह के 99 नाम, लेकिन किसी का अर्थ हिंसा नहीं है : प्रधानमंत्री मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को शांति और सद्भाव के संदेश के लिए इस्लाम की तारीफ करते हुए कहा कि अल्लाह के 99 नामों में किसी का मतलब हिंसा से नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ टकराव नहीं है और आतंक एवं धर्म को अलग किया जाना चाहिए। प्रथम विश्व सूफी मंच को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि मानवता के लिए इस महत्वपूर्ण समय पर इस शानदार कार्यक्रम का आयोजन होना दुनिया के लिए अहम है। जब हिंसा की काली परछाईं बड़ी होती जा रही है तो उस समय आप उम्मीद का नूर या रोशनी हैं। जब जवान हंसी को बंदूकें खामोश कर रही हैं तो आपकी आवाज मरहम है।’  सूफीवाद के संदेश को आगे बढ़ाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ टकराव नहीं है।


उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ टकराव नहीं है। यह नहीं हो सकता। यह मानवता के मूल्यों और अमानवीयता की ताकतों के बीच संघर्ष है। इस संघर्ष को सिर्फ सैन्य, खुफिया या कूटनीतिक तरीकों से नहीं लड़ा जा सकता।’  प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह ऐसी लड़ाई है जिसे हमें मूल्यों की ताकत और धर्म के वास्तविक संदेश के माध्यम से जीतना होगा। जैसा कि मैंने पहले कहा कि आतंकवाद और धर्म के बीच किसी भी संबंध को हर हाल में नकारना होगा। जो लोग धर्म के नाम पर आतंक फैलाते हैं वो धर्म विरोधी हैं।’ 


सूफीवाद को पैगम्बर मोहम्मद और इस्लाम के बुनियादी मूल्यों से जुड़े होने पर जोर देते हुए मोदी ने कहा, ‘यह हमें याद दिलाता है कि जब हम अल्लाह के 99 नामों के बारे में सोचते हैं तो उनमें से कोई भी बल और हिंसा का संदेश नहीं देता है। अल्लाह रहमान और रहीम भी है।’ इससे पहले ऑल इंडिया उलेमा एवं मशायक बोर्ड की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी का स्वागत ‘भारत माता की जय’ के नारे के साथ किया गया। मोदी ने इस सूफी सम्मेलन में यह संदेश ऐसे समय में दिया है जब सांप्रदायिकता के मुद्दे पर उनकी सरकार विपक्ष के निशाने पर है और राष्ट्रवाद को लेकर बहस चल रही है।


इस चार दिवसीय सम्मेलन में मिस्र, जॉर्डन, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और पाकिस्तान के नेता, विद्वान एवं शिक्षाविद् शामिल हो रहे हैं। हिंसा की चुनौती का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि इस वक्त पवित्र कुरान की शिक्षा को याद रखने की जरूरत है। अपने करीब 30 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री ने ऐसे सूफी विद्वानों का उल्लेख किया जिन्होंने मानवता की एकता के संदेश को आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा, ‘‘हर साल हम 100 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि दुनिया को आतंकवादियों से सुरक्षित बनाने में खर्च करते हैं। यह राशि गरीबों का जीवन संवारने पर खर्च हो सकती थी।’ मोदी ने कहा, ‘मेरे लिए सूफीवाद का संदेश सिर्फ आतंकवाद से निपटने तक सीमित नहीं है। मनुष्यों के प्रति सद्भाव, कल्याण, करूणा और न्यायपूर्ण समाज की बुनियाद है। यही मेरे ‘सबका साथ, सबका विकास’ के विचार का सिद्धांत है।’

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