नयी दिल्ली 16 मार्च जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नौ फरवरी को आयोजित विवादास्पद कार्यक्रम में भारत विरोधी नारे लगाये जाने की जाँच के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि इसमें बाहरी लोग शामिल थे। समिति ने कहा कि उस कर्यक्रम में भारत विरोधी नारे लगाने में बाहरी लोग शामिल थे और विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा इसे नहीं रोका जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उसने कहा कि विश्वविद्यालय की सुरक्षा इकाई ने भी बाहरी लोगों को आपत्तिजनक नारेबाजी से रोकने का प्रयास नहीं किया।
पाँच सदस्यीय समिति ने रिपोर्ट में विश्वविद्यालय के दो छात्रों मुजीब गट्टो एवं मोहम्मद कादिर को भी दोषी माना है। ये दोनों मुखौटा पहनकर नारेबाजी कर रहे बाहरी छात्रों के काफी करीब पाये गये। रिपोर्ट में कहा गया, “कार्यक्रम में बाहरी लोगों की उपस्थिति को सुरक्षाकर्मियों ने भी माना तथा कई प्रत्यक्षदर्शियों ने भी इसे स्वीकार किया। कार्यक्रम के दौरान अधिकांश समय ये लोग अपने चेहरे पर मुखौटा पहने रहे। वे ‘कश्मीर की आजादी तक, जंग रहेगी, जंग रहेगी’, ‘भारत को रगड़ा, दे रगड़ा, जोर से रगड़ो, दे रगड़ा’ और ‘गो इंडिया, गो बैक’ जैसे नारे लगा रहे थे।
रिपोर्ट में कहा गया कि जेएनयू छात्रसंघ का अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी वहाँ उपस्थित था। रिपोर्ट के अनुसार, “रैली के एक छोर पर उमर खालिद, आशुतोष, रामा नागा और कन्हैया कुमार उपस्थित था, तो दूसरे छोर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य सौरभ शर्मा, विनित लाल और श्रुति अग्निहोत्री उपस्थित थी।” रिपोर्ट में बताया गया कि इस दौरान वहाँ कोई हिंसा नहीं हुई। सुरक्षाकर्मियों ने मानव-श्रृंखला बनाकर हिंसा की घटना को रोका।

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