होटल में शराब पीना मना है - थानाध्यक्ष के आदेसनुसार,यदि आप शराब पीते सहरसा पुलिस के हाथ लग जाते है तो आपका मेडिकल के अलावे थाना हाजत में बंद होना पर सकता है| लेकिन यह तस्वीर आप जो देख रहे है इस तस्वीर में वर्दी में सहरसा एस०डी०पीओ के अंगरक्षक शहर के एक होटल में बीती देर रात्रि शराब और भोजन का पूरी तरह से आनंद ले रहे है | जानकारी के अनुसार 2 दिन पुर्व शहर के एक दबंग व्यवसायी ने ताजा टीवी के पत्रकार डॉ० मनोज ठाकुर से मारपीट की गई थी,इस सम्बन्ध में पत्रकार डॉ० ठाकुर की तरफ से सदर थाने को आवेदन भी दिया गया,लेकिन मामला दोनों पक्षों की तरफ से काउंटर FIR सदर थाना में दर्ज की गई | मारपीट के पीछे का मुद्दा जो भी हो यह बात की बात है | पर एक बात सोचने वाली है की जिस वयक्ति पर सदर थाने में मामला दर्ज हुआ हो और उसी के साथ पुलिस एक साथ बैठ कर भोग-बिलासता (शराब-कबाब) का आनंद लेते हुए तस्वीरों में आप खुद देख सकते है |
आपने बिल्कुल सही सोचा है कि वे जिनको पुलिस के होते होए कोई सुरक्षा नहीं जो पुलिस की वजह से तंग हैं, उनके दर्द को कोई समझने को तैयार नहीं है, यह बात तो हम-आप भी मानते हैं कि पुलिस का काम गरीब-मजलूमों कि सुरक्षा करना होता है,जहाँ अच्छी पुलिसंग होती है वहाँ जनता सुकून से रहती है, लेकिन ये कड़वा सच है कि पुलिस हमारे देशों में जनता की सेवा कम उनके लिए समस्याएँ ज़्यादा पैदा करती है, पुलिस की सोच भी एक है,मैं तो यहाँ तक कहने को तैयार हूँ कि पुलिस की सोच की वजह से कानून अब उस मकड़ी के जाल की तरह बन गया है जिसको ताक़तवर तो अपनी ताक़त के बलबूते पर तोड़ कर चला जाता है लेकिन मेरे जैसा ग़रीब तोड़ने की कोशिश करता है तो सारी उमर की लिए उन सुरक्षा बलों से परेशान होता रहता है, कहना चाहिए या नहीं लेकिन ये हक़ीकत है कि पुलिस की इस सोच की वजह से हमारा थाने के थाने बिक जाते हैं,
क्या ये सच नहीं है कि हमारे देश में जहाँ ये मंत्री और नेता लोग कहते हैं कि पुलिस लोगों की सेवा और सुरक्षा के लिए है. वहाँ आम जनता पुलिस थाने जाते हुए घबराती है, हमारी पुलिस का आचरण भी तो ऐसा है कि लोग थाने की दीवार के नज़दीक से भी गुज़रने से डरते हैं. पैसे वाले के लिए ही पुलिस है क्योंकि पुलिस इनकी सुरक्षा के लिए ही है, आम जनता तो घर से चोरी किए हुए सामान कि वापसी के लिए भी थानों का चक्कर काट काटकर, थक हार कर मायूस हो कर घर लौट आती है.ये भी सच है कि सब पुलिस वाले एक जैसे नहीं होते लेकिन जब तक पुलिस को बदनाम करने वालों को निकाल कर बाहर नहीं फेंक दिया जाता पुलिस को जनता इस तरह ही देखती रहेगी. क्योंकि जनता के दिए हुए टेक्स के पैसे से ही पुलिस का सिस्टम भी चलता है इस लिए उन की धर्म केवल पैसे वाले दबंगों को सत्कार करना या उनका सत्कार स्वीकार करना बस मात्र हो गया है |
फेसबुक से बिनय अजय



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