नयी दिल्ली, 16 मार्च, रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने पठानकोट आतंकवादी हमले के खिलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई में किसी भी प्रकार की प्रक्रियागत चूक से इन्कार करते हुए आज बताया कि सरकार ने सभी रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा ऑडिट करके प्रत्येक सैन्य अड्डे पर आतंकवादी हमले को तत्काल विफल करने की पूरी तैयारी कर ली गयी है। श्री पार्रिकर ने लोकसभा में पठानकोट हमले के कारण उत्पन्न स्थिति पर नियम 193 पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि वह देश को आश्वस्त करना चाहते हैं कि रक्षा बलों की कमान एवं नियंत्रण की प्रणाली एकदम दुरुस्त है और सरकार नियमित अंतराल पर इनकी समीक्षा भी करती है। उन्होंने कहा कि पठानकोट हमले के वक्त भी कमान एवं नियंत्रण प्रणाली पूरी तरह से कारगर रहीं हैं। पठानकोट हमले के बाद देश के सैन्य अड्डो की सुरक्षा का अॉडिट किया गया है और प्रत्येक सैन्य अड्डे पर आतंकवादी हमले को विफल करने की पूरी तैयारी कर ली गयी है।
पठानकोट में आतंकवाद निरोधक अभियान में ज्यादा वक्त लगने के सवालों पर उन्होंने कहा कि वहाँ से आतंकवादियों को निकालने के अभियान में सुरक्षाबलों के नुकसान को कम से कम रखने के उद्देश्य से कार्रवाई को समयसीमा के बंधन से मुक्त रखने का फैसला लिया गया था। रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसे आतंकवादी हमलों की दशा में युद्धस्तर पर कार्रवाई करती है। आतंकवादियों का उद्देश्य विशाल एवं शक्तिशाली दुश्मन की फौज को छोटे छोटे हमलों से पराजित करने का होता है। इसीलिये हमने कहा है कि जो हमें दर्द देते हैं, उन्हें हम भी वैसा ही दर्द देंगे। उन्होंने विपक्षी सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हमला होने के पहले एक जनवरी काे सुबह तीन बजकर 11 मिनट पर सूचना मिली थी कि पठानकोट के पास मिलिटरी बेस में आतंकवादी मौजूद हैं। आतंकवादी 3.30 बजे ही पहुँच चुके थे। सुबह 5.55 बजे पर टिबरी कैंट के ब्रिगेड कंमाडर ब्रिगेडियर आर आर सिंह ने पठानकोट वायुसैनिक अड्डे के प्रमुख को बताया था कि चार लोग सेना की वर्दी में एक महिन्द्रा गाड़ी अपहरण करके भागे हैं। सुबह 6.15 बजे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी बता दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं था कि आतंकवादी किस अड्डे पर मौजूद हैं क्योंकि पठानकोट वायुसैनिक अड्डे से सात आठ किलोमीटर के दायरे में सेना के दो तीन अन्य महत्वपूर्ण केन्द्र हैं।
उन्होंने बताया कि साढ़े तीन पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने सेना एवं वायुसेना के प्रमुखों के साथ बैठक की और सुबह 4.12 बजे हैलीकॉप्टर से निगरानी शुरू हो गयी। पास के सैनिक अड्डे से सेना की क्विक रिस्पाँस टीम को भी सतर्क कर दिया था। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को इसलिये बुलाया था क्योंकि वायुसैनिक अड्डे पर 3000 परिवार रहते हैं। इसके अलावा वायुसेना की पश्चिमी कमान ने गरुड़ कमांडो दस्ते को भी भेज दिया था। नाहन एवं सांबा से विशेष बल भी बुला लिये गये थे। श्री पार्रिकर ने बताया कि आतंकवादियों के हमले की दशा में मिश्रित बलों की कार्रवाई की कमान सेना के हाथ में होती है और ऐसा ही पठानकोट में हुआ था। उन्होंने कहा कि यह अभियान 43 घंटे तक चला था क्याेंकि सात जवानों की शहादत के बाद हमने तय किया था कि हम जवानों का अब और नुकसान नहीं होने देंगे। आतंकवादियों को 200 गुना 200 वर्गमीटर के क्षेत्र में अच्छी तरह से घेरा जा चुका था। उनके पास निकल भागने का कोई मौका नहीं था। इसलिये सुरक्षा बलों को अभियान में पूरा समय लेने को कहा गया। आतंकवादियों के पास पिस्तौल और ग्रेनेड के अलावा कुछ नहीं बचा था। इसके बाद स्थानीय कमांडर को कमान दे दी गयी थी।
राजनीतिक टीका टिप्पणी का उत्तर देते हुए श्री पार्रिकर ने संप्रग की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जनरल वी के सिंह के सेना अध्यक्ष के पद पर रहते बनायी गयी टैक्नीकल सर्विस डिवीजन (टीएसडी) काे राजनीतिक मुद्दा बना कर उसकी सूचनाएं लीक की गयी। जबकि हम ऐसी प्रक्रिया अपना रहे हैं कि दुश्मन बच कर ना निकल पायें। उन्होंने दावा किया कि सरकार की नीतियों के कारण जम्मू कश्मीर में सैन्य प्रतिष्ठानों में दिसंबर 2014 के बाद से आतंकवादी हमले नहीं हुए हैं। सरकार ने सभी सैन्य अड्डों एवं रक्षा प्रतिष्ठानों का सुरक्षा आॅडिट किया है। उन्होंने कहा कि वह आश्वस्त करते हैं कि रक्षा बलों के कमान एवं नियंत्रण के सभी मानदंड तथा प्रक्रिया का अनुपालन पूर्ण है तथा सरकार इनकी नियमित समीक्षा करती रहेगी।
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