सोनिया ने महिला दिवस के बहाने मोदी सरकार पर साधा निशाना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 8 मार्च 2016

सोनिया ने महिला दिवस के बहाने मोदी सरकार पर साधा निशाना

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नयी दिल्ली 08 मार्च, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार की नीतियों की चौतरफा आलोचना करते हुए आज कहा कि अधिकतम शासन का आशय केवल आर्थिक विकास को गति देना नहीं है बल्कि इसका मतलब विरोध के सुरों को सम्मान देना, सिविल सोसायटी को आजादी से काम करने की इजाजत देना, महिलाओं को उनका अधिकार देना, सामाजिक सौहार्द को मजबूत करना तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना है। श्रीमती गांधी ने लोकसभा में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार ‘अधिकतम शासन न्यूनतम सरकार’ की बात करती है लेकिन इसकी कथनी और करनी में अंतर है। अधिकतम शासन का मतलब केवल देश के आर्थिक विकास को गति देना नहीं होता है बल्कि इसका संदर्भ बहुत व्यापक है। इसका मतलब दूसरे लोगों के विचारों को सम्मान देना है। इसका मतलब गरीबों और वंचितों की आवाज उठाने वाली सिविल सोसाइटी और गैर सरकारी संगठनों को अपनी बात कहने की आजादी देना है। अधिकतम शासन का आशय लोकतांत्रिक और उदार मूल्यों को बढ़ावा देना और सामाजिक सौहार्द को मजबूत करना है। मोदी सरकार पर महिला अधिकारों के मामले में दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अगर वह इस मामले में गंभीर है तो उसे महिलाओं आरक्षण दिलाने के लिए विधेयक संसद में पेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में हमेशा से ही महिलाओं की अहम भूमिका रही है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में उन्होंने आजादी की लड़ाई में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। श्रीमती गांधी ने कहा कि जब देश का संविधान बन रहा था तो सरोजनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, विजयालक्ष्मी पंडित और हंसा मेहता सहित 15 महिलाओं ने इसमें अहम भूमिका अदा की थी। जब दुनिया की महिलाएं मताधिकार पाने के लिए संघर्ष कर रही थी उस समय हमारे यहां उन्हें मताधिकार मिल चुका था।

जेएनयू विवाद और रोहित वेमुला प्रकरण का उल्लेख किए बिना श्रीमती गांधी ने कहा कि हाल की घटनाएं दुखदायी हैं। एक तरफ देश में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती मनायी जा रही है और दूसरी तरफ अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को उनके शैक्षिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कई चुनौतियों के बावजूद भारतीय महिलाओं ने अपने लिए मुकाम बनाया और सर्वोच्च पदों को सुशोभित किया लेकिन आज भी उनके साथ भेदभाव किया जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पंचायतों और स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी जिसके परिणामस्वरूप आज इनमें 40 लाख महिला जनप्रतिनिधि हैं। यह किसी क्रांति से कम नहीं है। लेकिन आज हमें आत्ममंथन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज महिलाओं को परंपरा के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है। परिवार और समाज पर महिलाओं को पालने पोसने की जिम्मेदारी है लेकिन वही उसे परंपराओं के नाम पर प्रताड़ित कर रहे हैं। भोजन, वस्त्र और शिक्षा के मामले में बालक और बालिकाओं में फर्क किया जाता है। बालिकाओं की जल्दी शादी की जाती है और उन्हें दहेज के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है। उन्हें संपत्ति का अधिकार नहीं दिया जाता है। श्रीमती गांधी ने कहा कि हमारे समाज में कई अच्छी परंपराएं हैं जिन्हें बढ़ावा दिया जाना चाहिए लेकिन सामाजिक बुराइयों से लड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण के प्रावधान वाला विधेयक लंबे अरसे से लंबित पड़ा है और इसे पारित कराने की जरूरत है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन से अनुरोध किया कि उन्हें इस पर पहल करनी चाहिए। 

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