नयी दिल्ली 11 मार्च, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करते हुए यमुना के खादर में विश्व सांस्कृतिक समारोह का आयोजन करने पर लगाये गये पांच करोड़ रुपये के जुर्माने की राशि किस्तों में अदा करने की मोहलत मांगने संबंधी श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट आफ लिविंग (एओएल) की याचिका आज स्वीकार कर ली। श्री रविशंकर की संस्था आज जुर्माने की पहली किस्त के रूप में 25 लाख रुपये का भुगतान करेगी। इसके बाद जुर्माने की शेष राशि अगले तीन सप्ताह में भुगतान करनी है। यह कार्यक्रम आज शाम को प्रारंभ हो रहा है और 13 मार्च तक चलेगा। आर्ट ऑफ लीविंग ने एनजीटी के समक्ष याचिका दायर कर उस पर लगाये पांच करोड़ रुपये के जुर्माने को भरने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा था।
याचिकाकर्ता ने खुद को धर्मार्थ संस्था बताते हुये कहा था कि उसके लिए इतने कम समय में पांच करोड़ रुपये की राशि जुटाना मुश्किल है । इसके लिये उसे चार सप्ताह की मोहलत दी जाए और यह राशि बायोडायवर्सिटी पार्क को बनाने के लिए ली जानी चाहिए, न कि जुर्माने के रूप में। ” एनजीटी ने हालांकि याचिका स्वीकार कर ली लेकिन साथ ही श्री श्री रविशंकर के कल के उस बयान के लिए उनकी खिंचाई भी की , जिसमें उन्होंने कहा था कि वह जुर्माना देने के बजाय जेल जाना पसंद करेंगे। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,“ क्या आपका यह बयान सही है कि आप पांच करोड़ का जुर्माना भरने के बजाय जेल जाना चाहेंगे। एक प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु से इस तरह की टिप्पणी वांछनीय नहीं थी। हमें यह सुनकर कष्ट हुआ।”

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