नयी दिल्ली 11 मार्च, समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाने से संबंधित कांग्रेस के डा. शशि थरूर का एक निजी विधेयक लोकसभा में आज नहीं पेश हो सका और सदन ने मतदान के जरिए उसे नकार दिया। सदन में गैर सरकारी सदस्यों के कामकाज के वक्त अनेक सदस्यों के निजी विधेयक विचारार्थ स्वीकार किये जाने के बाद डा. थरूर ने भारतीय दंड संहिता (संशोधन) विधेयक 2016 पेश करने की अनुमति मांगी जिस पर सत्ता पक्ष ने तगड़ा विरोध जताया और उस पर मतदान की मांग की जिसे अध्यक्ष ने मान लिया।
डा. थरूर ने अध्यक्ष से शिकायती लहजे में कहा कि सुबह एक विधेयक को पेश किये जाने के वक्त उन्होंने भी मतदान की मांग की थी लेकिन उसे नहीं माना गया। इस पर श्रीमती महाजन ने कहा कि यह उनका विशेषाधिकार है जिसका वह स्वविवेक से इस्तेमाल करतीं हैं। इसके पश्चात मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई जिसमें कुल 73 सदस्यों ने भाग लिया और विधेयक पेश करने के पक्ष में 14 और विरोध में 58 मत पड़े जबकि एक सदस्य ने मतदान में भाग नहीं लिया। अध्यक्ष ने तत्पश्चात निर्णय सुनाते हुए कहा कि विधेयक को पेश करने की अनुमति नहीं है। डा. थरूर इस विधेयक के माध्यम से भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को हटाकर नयी धारा जोड़ने का प्रस्ताव लाने का प्रयास कर रहे हैं। धारा 377 समलैंगिक संबंधों को अपराध के रूप में देखती है।

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