नयी दिल्ली 16 मार्च, पठानकोट के वायुसैनिक अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले से निपटने के तौर तरीकों में भारी अनियमितता का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने लोकसभा में सरकार की तगड़ी खिंचाई की और पूछा कि वह स्पष्ट रूप से बताये कि इसके लिए कौन जवाबदेह है। बीजू जनता दल (बीजद) के कलिकेश नारायण सिंह देव ने नियम 193 के तहत पठानकोट हमले से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा आरंभ करते हुए कहा कि यह महज आतंकवादी हमला भर नहीं था। इसका मकसद सशस्त्र बलों के संसाधनों को नुकसान पहुँचाना और देश का सैन्य बलों की क्षमता पर भरोसा तोड़ना था। श्री सिंह देव ने कहा कि आतंकवादी दिखाना चाहते थे कि सैन्य बल खुद की सुरक्षा नहीं कर सकते तो देश की सुरक्षा क्या करेंगे।
उन्होंने कहा कि वह किसी भी बाहरी आतंकवादी हमले से निपटने में सरकार के प्रयासों का पूर्ण समर्थन करते हैं। लेकिन कुछ सवालों का जवाब मिलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि दुनिया में किसी भी आतंकी हमले मेें उतना नुकसान नहीं होता जितना भारत में होता है। मुम्बई में 2008 का हमला हो या फिर पठानकोट हमला हो। उन्होंने कहाकि आखिर पठानकोट में ही सेना के प्रशिक्षित 50 हजार जवानों की मौजूदगी के बावजूद राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) को क्यों बुलाया गया जबकि एनएसजी मुख्यत: अपहृर्ताओं से निपटने तथा शहरी परिस्थितियों में सुरक्षा अभियानों के लिए प्रशिक्षित होते हैं और सेना आतंकवाद निरोधक अभियानों में निरंतर काम करती है और प्रशिक्षित होती है। उन्होंने कहा कि एनएसजी को भी आतंकवादियों का पता लगाने में 48 घंटे लगे जबकि फ्रांस के सुरक्षाबलों ने पेरिस हमले के आतंकवादियों का दो घंटे में पता लगा लिया था।

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