नयी दिल्ली, 08 मार्च, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई महिला सांसदों ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को एकतिहाई आरक्षण देने से संबंधित विधेयक को जल्दी से जल्दी पारित कराने की आज लोकसभा में मांग की। सदन में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर इन सदस्यों ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अवसर उपलब्ध कराने तथा लिंगभेद दूर करने की जरूरत पर भी जोर दिया। श्रीमती गांधी ने कहा कि मौजूदा सरकार पर महिला अधिकारों के मामले में दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर वह इस मामले में गंभीर है तो उसे महिलाओं को आरक्षण दिलाने के लिए विधेयक पेश करना चाहिए। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन से इसके लिए पहल करने का अनुरोध किया। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कई चुनौतियों के बावजूद भारतीय महिलाओं ने अपने लिए मुकाम बनाया और सर्वोच्च पदों को सुशोभित किया लेकिन आज भी उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पंचायतों और स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी जिसके परिणामस्वरूप आज इनमें 40 लाख महिला जनप्रतिनिधि हैं। यह किसी क्रांति से कम नहीं है। लेकिन आज हमें आत्ममंथन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि परिवार और समाज पर महिलाओं को पालने-पोसने की जिम्मेदारी है लेकिन वही उसे परंपराओं के नाम पर प्रताड़ित कर रहे हैं। भोजन, वस्त्र और शिक्षा के मामले में बालक और बालिकाओं में फर्क किया जाता है। बालिकाओं की जल्दी शादी की जाती है और उन्हें दहेज के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है। उन्हें संपत्ति का अधिकार नहीं दिया जाता है। श्रीमती गांधी ने कहा कि हमारे समाज में कई अच्छी परंपराएं हैं जिन्हें बढ़ावा दिया जाना चाहिए लेकिन सामाजिक बुराइयों से लड़ने की जरूरत है। भाजपा सदस्य हेमा मालिनी ने महिलाओं को शक्तिस्वरूपा बताते हुए कहा कि हर बच्ची को बड़े सपने देखने की आजादी होनी चाहिए ताकि वह देश के निर्माण में अपनी भूमिका अदा कर सकें। उन्होंने कहा कि हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि जहां महिलाओं की इज्जत होती है वहां देवता बसते हैं और जहां नारी का अपमान होता है वहां असुरी शक्तियों का वास होता है। समाज को लड़कियों को लड़कों के बराबर अधिकार दिए जाने चाहिए तभी सही मायनों में देश आगे बढ़ेगा।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें