- स्थापना दिवस के अवसर पर केंद्रीय कमिटी के आह्वान का किया गया पाठ
- सर्वहारा क्रांति के महान शिक्षक व नेता काॅ. लेनिन का दी गयी श्रद्धांजलि
पटना 22 अप्रैल 2016, भाकपा-माले की स्थापना की 47 वीं वर्षगांठ पर आज राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में कार्यक्रम आयोजित हुए, जिसमें पार्टी की केंद्रीय कमिटी द्वारा पार्टी कामरेडों के नाम जारी किए गए आह्वान पत्र का पाठ किया गया. राज्य कार्यालय में पार्टी स्थापना दिवस के अवसर पर झंडोतोलन किया गया और उसके बाद सर्वहारा क्रांति के महान शिक्षक व नेता काॅ. लेनिन को श्रद्धांजलि दी गयी. विदित हो कि 22 अप्रैल लेनिन का जन्म दिन भी है, और 1969 में इसी दिन भाकपा-माले का गठन हुआ था.
पटना में राज्य कार्यालय के अलावा चितकोहरा, सब्जीबाग, कंकड़बाग आदि जगहों पर कार्यक्रम आयोजित हुए. राज्य कार्यालय में आयोजित समारोह में पार्टी के बिहार राज्य सचिव कुणाल, समकालीन लोकयुद्ध के संपादक बृज बिहारी पांडेय,पार्टी की केंद्रीय कमिटी की सदस्य मीना तिवारी, सरोज चैबे, राज्य स्थायी समिति के सदस्य काॅ. राजाराम, शिक्षक प्रो. अरविंद कुमार, लोकयुद्ध के सह संपादक प्रदीप कुमार, लोकयुद्ध के प्रबंध संपादक संतलाल, मंजू देवी, पार्टी के राज्य कार्यालय सचिव कुमार परवेज तथा पप्पू कुमार ने भाग लिया.
झंडोतोलन व काॅ. लेनिन को श्रद्धांजलि दी जाने के बाद केंद्रीय कमिटी के पाठ का आह्वान किया गया. इस पर अपना वक्तव्य रखते हुए माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि आज पूरे देश में भाजपा व आरएसएस के दमनचक्र के खिलाफ छात्र-युवा आंदोलन का नया उभार दिख रहा है. जिसमें आजादी व लोकतंत्र की भावना प्रबल रूप से सामने आ रही है. दलितों को भरमाने और उन्हें मुस्लिमों के खिलाफ खड़ा करने की भाजपाई कोशिश पूरी तरह से रोहित वेमुला और उनके साथियों ने बेनकाब कर दी है और रेडिकल दलित आंदोलन एक बार फिर से उभरकर सामने आया है. इसलिए भाजपाई डाॅ. अंबेडकर को एक बार फिर से हिंदू ढांचे में समायोजित करने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन उनका मंसूबा कामयाब नहीं होने वाला है. क्योंकि देश का छात्र-युवा समुदाय अच्छी तरह से समझ रहा है कि डाॅ. अंबेडकर जाति व्यवस्था के खिलाफ थे, वे सामाजिक बराबरी के आंदोलन के नेता थे. यह छात्र-युवा उभार भगत सिंह-अंबेडकर के रास्ते आगे बढ़ रहा है और निश्चित रूप से भाजपा के फासीवादी अभियान को जोरदार सबक सिखायेगा.
बृजबिहारी पांडेय ने कहा कि फासीवादी ताकतों को घिसे-पीटे तरीके से हराना संभव नहीं है. आज भाजपा के नेतृत्व में जो फासीवाद देश में उभर रहा है, वह उसकी कारपोरेटपरस्त आर्थिक नीतियों का परिणाम है, जो पूरी तरह से जनविरोधी है. चाहे भूमि अधिग्रहण का मामला हो या फिर पीएफ फंड में कटौती करने का पूरा देश देख रहा है कि मोदी सरकार किस तरह जनता के हक-अधिकार में सेंधमारी कर रही है और विरोध की हर आवाज को दबा देने पर तुली है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस हो या जदयू, इनमें किसी की भी नीतियां भाजपा से अलग नहीं है. दरअसल कांग्रेस के कुशासन की वजह से ही आज भाजपा देश की सत्ता में है. ऐसे में ये ताकतें फासीवाद के खिलाफ लड़ाई की अगुवा नहीं हो सकती.
चितकोहरा में पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा ने कहा कि बहुत दिनों बाद छात्रों का यह उभार आया है. यह किसी फीसवृद्धि या छात्रवृत्ति जैसे मुद्दों पर न होकर देशभक्ति, आजादी व लोकतंत्र जैसे गंभीर राजनीतिक-वैचारिक प्रश्नों पर हुआ हैं. यह एक राजनीतिक उभार है. छात्र आज भाजपा के नकली देशभक्ति व फासीवादी सोच व व्यवहार के खिलाफ लोकतंत्र की लड़ाई लड़ रहे हैं. आंदोलन का विशिष्ट पहलू यह है कि दलित दावेदारी व दलित प्रतिरोध आज भाजपा-संघ के खिलाफ स्वतंत्र रूप से खड़ा हो रहा है. दलित नेताआंे की सत्ता की पक्षधर धारा ने डाॅ. अंबेदकर के पूरे संदेश को महज दलितों के आरक्षण के चैखटे तक सीमित कर रखा है. लेकिन डाॅ. अंबेडकर से प्रेरित अंबेदकर स्टूडेन्ट्स एसोसिएशन के नेता रोहित वेमुला ने इस चैखटे को लांघकर अल्पसंख्यकों के न्याय, धर्मनिरपेक्षता व अभिव्यक्ति की आजादी के लोकतांत्रिक सवाल उठाए और इन्हीं उद्देश्यों की खातिर शहादत दी.
सब्जीबाग में आयोजित संकल्प सभा में पार्टी की बिहार राज्य कमिटी के सदस्य नवीन कुमार, पार्टी के वरिष्ठ नेता एनामुल हक, निखिल कुमार, समता राय, मोख्तार, मनीष कुमार, तारिक आदि छात्र-नौजवान नेता शामिल हुए. कंकड़बाग में पन्नालाल सिंह, अनुराधा सिंह, विभा गुप्ता आदि शािमल हुए.

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