कोलकाता, 30 अप्रैल (वार्ता) भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीअाई) के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय जगमोहन डालमिया की पत्नी ने उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी पर अफसोस व्यक्त किया है। सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को आर एम लोढा समिति की सिफारिशों को बोर्ड में लागू करने के मामले पर सुनवाई के दौरान कहा था“ ऐसे किसी व्यक्ति (जगमोहन डालमिया) को बीसीसीआई का अध्यक्ष क्यों चुना जाता है जबकि वह बात ही नहीं कर सकते। उन्हें चुनने वालों को क्या यह बात दिखाई नहीं दी। बीसीसीआई अध्यक्ष को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों से पांच साल ज्यादा दे दिए गए।”
डालमिया की पत्नी चंद्रलेखा ने शनिवार को इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि वह उच्चतम न्यायालय की इस टिप्पणी से काफी आहत हैं। उन्होंने कहा“ मैं बहुत ही दुखी और आहत हूं जो भी अखबारों में मैंने पढ़ा है। क्रिकेट के खेल के विकास में जिस व्यक्ति ने अपना पूरा जीवन समर्पित किया हो और अब इस दुनिया में भी नहीं है उसके बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का अधिकार किसी को नहीं है।” 69 वर्षीय चंद्रलेखा ने अपने बयान में कहा“ जगमोहन डालमिया को किसी से भी सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है। उन्होंने क्रिकेट के विकास के लिये बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर अपना जो योगदान दिया है वह सभी को पता है।” देश में क्रिकेट के विकास और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय क्रिकेट को पहचान दिलाने के साथ इसमें पैसा लाने के लिये डालमिया का काफी योगदान माना जाता है।
डालमिया को गत वर्ष बीसीसीआई का अध्यक्ष चुना गया था लेकिन पद पर रहते हुये ही सितंबर में उनका निधन हो गया था। वह इससे पहले वर्ष 1997 से 2000 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद(आईसीसी) के और 2001 से 04 तक बीसीसीआई के प्रमुख रहे थे। इसके बाद आईपीएल स्पाट फिक्सिंग के मामले में बोर्ड के पूर्व प्रमुख एन श्रीनिवासन की जगह डालमिया को पुन: बीसीसीआई का अध्यक्ष चुना गया। हालांकि उस दौरान उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था और बोर्ड की गतिविधियों में ठीक तरह से हिस्सा भी नहीं ले पा रहे थे।
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