गीता,बबीता, सुमित आैर अवारे का ओलंपिक सपना चकनाचूर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

गीता,बबीता, सुमित आैर अवारे का ओलंपिक सपना चकनाचूर

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नयी दिल्ली 29 अप्रैल, भारतीय कुश्ती महासंघ ने अनुशासनहीनता के अारोप में स्टार महिला पहलवान बहनों गीता और बबीता फोगाट के साथ साथ राहुल अवारे और सुपर हैवीवेट पहलवान सुमित को कारण बताओ नाेटिस जारी कर 15 मई तक जवाब देने को कहा है जबकि विनेश को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। महासंघ के इस नोटिस के साथ गीता, बबीता,अवारे और सुमित का ओलंपिक का सपना चकनाचूर हो गया है। कुश्ती महासंघ ने इन पहलवानों को तुर्की के इस्तांबुल में छह से आठ मई तक होने वाले आखिरी विश्व क्वालीफाइंग टूर्नामेंट से भी बाहर कर दिया है और गीता (58) , बबीता (53) तथा सुमित (125) की जगह तीन पहलवानों का चयन कर लिया गया है। इन पहलवानों को 15 मई तक अपना जवाब देना है जिसके बाद एक अनुशासन समिति का गठन किया जाएगा जो इनके खिलाफ प्रतिबंध का फैसला करेगी। मंगोलिया की राजधानी उलानबातोर में ओलंपिक क्वालिफ़ाइंग टूर्नामेंट में गीता और बबीता दोनों बहनों ने अपने- अपने कांस्य पदक मुक़ाबलों में हिस्सा नहीं लिया था जबकि सुमित भी रेपचेज राउंड में चोट का हवाला देते हुये मुकाबले में नहीं उतरे थे ,जो नियमों के ख़िलाफ़ है। विनेश को उनका वजन 400 ग्राम अधिक होने के कारण अयोग्य करार दिया गया था। राहुल अवारे (57 किग्रा) टीम के जार्जिया जाने के समय दिल्ली हवाई अड्डे से ही घर लौट गये थे जब उन्हें यह पता चला कि मंगोलिया टूर्नामेंट में उनके वजन वर्ग में संदीप तोमर को भाग लेना है। महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा,“विश्व कुश्ती में भारत की पहचान अच्छे प्रदर्शन और अनुशासन से है। हम अनुशासनहीनता को कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते। यही कारण है कि तीनों पहलवानों को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 मई तक जवाब देने को कहा गया है।

आखिरी क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के लिये गीता की जगह साक्षी मलिक, बबीता की जगह ललिता सहरावत और सुमित की जगह हितेन्द्र को चुना गया है। विनेश को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि विनेश का मामला सिर्फ वजन का था और उनके क्वालीफाई करने की संभावना है, इसलिये उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। लंदन ओलिंपिक में हिस्सा ले चुकीं 27 वर्षीय गीता को 58 किग्रा वर्ग में चीन की झाऊझैंगटिंग से मुकाबला करना था जबकि 26 वर्षीय बबीता को 53 किग्रा वर्ग में मेक्सिको की आल्मा जेन वालेंसिया से टक्कर लेनी थी। लेकिन ये दोनों खिलाड़ी इन मुक़ाबलों से नदारद रहीं। बार बार घोषणा के बावजूद ये अपने मुकाबलों में नहीं आई और न ही इन्होंने अपने कोचों की बात मानी। दोनों महिला पहलवानों का तर्क था कि पुरुषों के वर्ग में दोनों फाइनलिस्ट और कांस्य पदक विजेता को ओलंपिक टिकट मिलना था जबकि महिला वर्ग में केवल फाइनलिस्ट को ही ओलंपिक टिकट मिलना था। इसलिये इनके कांस्य पदक के मैच में उतरने का कोई औचित्य नहीं था। यह भी कहा जा रहा है कि इन बहनों ने चोट का हवाला देते हुए कांस्य पदक के मैच में उतरने से मना कर दिया था। इन बहनों को अनुशासनहीनता का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग इस अनुशासनहीनता की वजह से इन दोनों काे आजीवन प्रतिबंधित कर सकता है। 

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