नयी दिल्ली, 24 अप्रैल, रेलवे बोर्ड ने मिशन रफ्तार को अमल में लाते हुए पहली बार क्रास फंक्शनल आधार पर मोबिलिटी निदेशालय का गठन कर दिया है और वर्ष 2016 के अंत तक देश में सभी मेल/एक्सप्रेस और मालगाड़ियों की औसत गति में कम से कम पांच किलोमीटर प्रति घंटा का इज़ाफा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) मोहम्मद जमशेद ने संवाददाताओं को यह जानकारी देते बताया कि दिल्ली से मुगलसराय के बीच के रेलखंड पर दबाव को कम करने के लिये काम शुरू कर दिया गया है जिससे इस खंड पर गाड़ियों की गति बढ़ सके। इसके लिये इस मार्ग पर चलने वाली सभी पैसेंजर गाड़ियों के पुराने रैंक बदल कर नये डेमू/मेमू के रैक लगाये जाएंगे। इसके साथ ही लंबी दूरी की गाड़ियों के पुराने रैक बदल कर एलएचबी रैक लगाये जा रहे हैं। श्री जमशेद ने रेलवे बोर्ड में मोबिलिटी निदेशालय के बारे में बताया कि इसकी कमान उच्च प्रशासिक ग्रेड के सलाहकार स्तर के अधिकारी श्री नवीन शुक्ला को दी गयी है। इससें सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलैक्ट्रिकल्स इंजीनियरिंग और सिगनल इंजीनियरिंग क्षेत्र के कार्यकारी निदेशक स्तर के अधिकारी शामिल किये गये हैं। उन्होंने बताया कि रेल बजट में की गयी घोषणा के अनुरूप इस पहले क्रास फंक्शनल निदेशालय काे इस वर्ष के अंत तक सभी मेल/एक्सप्रेस और मालगाड़ियों की औसत गति पांच किलोमीटर प्रति घंटा बढ़ाने का लक्ष्य दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रमुख रेलमार्गों पर यातायात के दबाव को कम करने के लिये मौजूदा स्थिति में ही अनेक छोटे-छोटे उपायों से काफी फर्क पड़ सकता है और इसी दिशा में काम शुरू किया गया है।
गाड़ियों की औसत गति बढ़ाने के उपायों एवं रणनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने देश के सर्वाधिक व्यस्ततम दिल्ली-मुगलसराय रेलखंड का उदाहरण देते हुए कहा कि इस मार्ग पर मालगाड़ियों की औसत रफ्तार 18 किलो मीटर प्रतिघंटा है। दिल्ली से इलाहाबाद तक मालगाड़ी को हर दूसरे स्टेशन पर कम से कम 45 मिनट के लिये लूप लाइन पर राेकना पड़ता है और यात्री गाड़ियों को निकालना पड़ता है। स्टेशनों पर यात्री गाड़ियों के रुकने एवं चलने में भी गति बाधित होती है। इस समस्या के समाधान के लिये स्वचालित सिगनल लगाने एवं यात्री गाड़ियों की गति बनाये रखने की जरूरत होगी। श्री जमशेद ने कहा कि दिल्ली मुगलसराय खंड पर सात पैसेंजर गाड़ियां चलती है जिनमें से दो गाड़ियों के रैक डेमू/मेमू के रैक में बदल दिये गये हैं। शेष पांच के रैक चार माह में बदल जाएंगे। इसी प्रकार से इस मार्ग पर चलने वाली मेल/एक्सप्रेस गाड़ियों के पुराने रैक भी एलएचबी रैक से बदले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पुराने रैक होने की दशा में एक ठहराव पर गाड़ी को रोकने एवं एक मिनट बाद चलाने में पुरानी गति पकड़ने में सात से आठ मिनट का समय लगता है जबकि नये रैक दो से तीन मिनट लेते हैं। इसके अलावा एलएचबी कोच 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से आराम से चलते हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली से मुगलसराय के बीच कानपुर-इलाहाबाद खंड छोड़ कर स्वचालित सिगनल प्रणाली कार्यरत है। कानपुर से इलाहाबाद के बीच करीब दो सौ किलोमीटर के खंड पर स्वचालित सिगनल प्रणाली लगाने का काम तेजी से चल रहा है।
उन्होंने बताया कि इतना होने पर मालगाड़ियों को हर दूसरे स्टेशन के बाद रोकने की जरूरत नहीं होगी और सामान्य मालगाड़ी दिल्ली से इलाहाबाद 36-38 घंटे की बजाय 28-30 घंटे में पहुंचने लगेगी। इससे औसत गति भी तत्काल बढ़कर 23 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक हाे जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस कवायद का एक यह फायदा भी हुआ है कि पैसेंजर गाड़ियों के पुराने जीर्ण-शीर्ण रैक हटाने एवं डेमू/मेमू रैक लगाने से ग्रामीण एवं कस्बाई गरीब यात्रियों को भी नयेपन का अहसास होगा तथा पैसेंजर ट्रेनों के परिचालन में विलंब की समस्या दूर हो पायेगी। सदस्य (यातायात) ने कहा कि इसके अलावा मेल एक्सप्रेस गाड़ियों में एलएचबी रैक से गाड़ियों की समयबद्धता भी सुनिश्चित हुई है। दिल्ली से बिहार के लिये चलने वाली कई गाड़ियों में एलएचबी रैक लगाने से उनकी गति तेज हुई है और विलंब की शिकायत दूर हुई है। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद के उत्तर मध्य ज़ोन में गाड़ियों की समयबद्धता पहले 30 से 35 प्रतिशत के बीच रहती थी जो अब 54 प्रतिशत तक आ चुकी है। जबकि देश में समयबद्धता का अनुपात 70-77 प्रतिशत से बढ़कर 81 प्रतिशत तक आ चुका है। श्री जमशेद ने बताया कि इसी तर्ज पर देश के अन्य प्रमुख मार्गों दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-जम्मू, दिल्ली-चेन्नई और दिल्ली-मुंबई रेलमार्गों पर गति बढ़ाने के नये नये उपाय किये जा रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें