चेन्नई 29 अप्रैल, तमिलनाडु के एक सत्र न्यायालय ने कांची कामकोटि मठ के अाचार्य जयेन्द्र सरस्वती समेत सभी नौ आरोपियों को वर्ष 2002 में मठ के एक कर्मचारी पर जानलेवा हमला के मामले में सबूत के अभाव में आज बरी कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजामणिकम ने लेखा परीक्षक राधाकृष्णन की हत्या के मामले में सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को बरी करते हुये कहा कि अभियोजन पक्ष इस मामले में कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया। फैसले के समय आचार्य सरस्वती समेत सभी नाै आरोपी अदालत में मौजूद थे। पुलिस ने आचार्य सरस्वती के सुनवाई के दौरान उपस्थित होने के मद्देनजर अदालत परिसर में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए थे।
कांची कामकोटि मठ के प्रबंधक एन सुंदरेस अय्यर ,एम के रघु और अाचार्य जयेन्द्र सरस्वती के छोटे भाई विजयेन्द्र सरस्वती भी इस मामले में आरोपी थे जिन्हें न्यायालय ने बरी कर दिया । न्यायालय के फैसले पर खुशी व्यक्त करते हुए आचार्य जयेन्द्र सरस्वती ने कहा कि वह इस फैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा “यह एक अच्छा फैसला है। मैं इसका स्वागत करता हूं।” इससे पहले इस वर्ष 28 मार्च को मामले की सुनवाई के दौरान 80 वर्षीय जयेन्द्र सरस्वती ने अदालत से कहा कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है। उन पर लगाए गये सारे आरोप बेबुनियाद हैं।वह अपने वकीलों के एक दल के साथ अदालत में उपस्थित हुए थे और लगभग 90 सवालों के जवाब दिये थे । उन्होंने अधिकतर सवालों के जवाब “नहीं ”और “ मैं नहीं जानता” में दिये थे। गौरतलब है कि 20 सितंबर 2002 को कांचीपुरम के कांची मठ के एक पूर्व कर्मचारी और उनकी पत्नी पर जानलेवा हमला किया गया था जिसमें दोनों गंभीर रूप से घायल हो गये थे। मामले में जयेन्द्र सरस्वती और 11अन्य के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया था।

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