कभी आजादी की खातिर गुहार तो कभी सेना के साथ बलात्कार का तमगा चिपकाने वाले कन्हैया कुमार का वो किरदार...जी हां आसमां की ओर निहारते हुए, आजादी की बुलंद आवाजों के साथ जेएनयू के टाइटल तले रास्ते तलाशने वाले, किसी को हिमायती तो किसी की मुखालिफत करने वाले...पूंजीवाद, मनुवाद की ऊंची बोलियों के साथ इंसान नहीं अपितु जाति विशेष की खातिर न्याय की गुहार लगाने वाले कथित अभिनेता की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। सवाल है कि आखिर कन्हैया कुमार कितने सच्चे और कितने झूठे हैं ? सवाल ये भी है कि आरएसएस, बीजेपी पर लगातार हमले करके क्या वे राजनीति में पलायन या कहें संभावनाओं की तलाश में नहीं जुटे ? राहुल गांधी से भेंटवार्ता का मतलब क्या निकाला जाए ? सेना को बलात्कारी बताने पर उन्हें राष्ट्रवाद का कौन सा खिताब दिया जाए ? दरअसल ये सवाल हमारे नहीं बल्कि भारत की एक बड़ी आबादी के हैं। जी हां सवा सौ करोड़ लोगों में से ही ये सवाल कन्हैया के किरदार पर जड़े गए हैं। हाल ही में एक और मामले ने कन्हैया कुमार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जिसमें सवाल भी बाया कन्हैया कुमार आया और जवाब में कहीं न कहीं कन्हैया कुमार फंसते हुए नजर आ रहे हैं। लोगों की मानें तो कन्हैया कुमार एक फ्लॉप किरदार सरीखे ही हैं। हां अभी भी वे तमाम तरीकों से उठने की कोशिश कर रहे हैं। इसी श्रंखला में हाल ही में उपजा विवाद भी बताया जा रहा है।
तो ये था मामला !
जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने रविवार को कथित तौर पर मुंबई में एक प्लेन में यात्रा के दौरान एक व्यक्ति पर गला दबाने का आरोप लगाया। कन्हैया ने दावा किया कि मुंबई से पुणे की एक फ्लाईट में एक व्यक्ति ने उसे जान से मारने की कोशिश की।
''सस्ती लोकप्रियता के भूखे हैं कन्हैया''
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर फ्लाइट में हमला करने और गला घोंटने की कोशिश के मामले में हिरासत में लिए गए शख्स ने सभी आरोपों को खारिज किया है। कन्हैया के आरोपों के बाद 33 साल के टीसीएस कर्मचारी मानस ज्योति देका (33) को मुंबई में हिरासत में लिया गया था। देका ने कहा, ”मेरा हाथ बस उनकी गर्दन पर पड़ गया था दरअसल उस दौरान मैं पैर में दर्द की वजह से मैं खुद को संतुलित करने की कोशिश कर रहा था। देका ने यह भी कहा कि उन्होंने कन्हैया की तस्वीरें जरूर देखी हैं पर निजी तौर पर उसे नहीं जानते। कन्हैया सब कुछ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए कर रहे हैं।
मामले की असलियत की ओर इशारा करते कुछ महत्वपूर्ण बिंदु :
1- मुंबई पुलिस ने कन्हैया के आरोपों को खारिज किया है। ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस देवेन भारती ने कहा, ”कन्हैया के दोस्त ने जो भी आरोप लगाए हैं, वे हमारी जांच में गलत पाए गए हैं।”
2- भारती ने यह भी कहा कि एक सीनियर इंस्पेक्टर के बार-बार कहने के बावजूद कन्हैया ने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई।
3- शनिवार को वाम संगठनों की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कन्हैया ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था।
4- एक तरफ लोगों का जहां ये कहना है कि भाजपा के विरोध में खड़े करने का सबसे आसान तरीका यही हो सकता था। तो दूसरी ओर ये भी कहा जा रहा है कि कोई तीसरा दल भी विरोध के नाम पर एक तीर से दो निशाने करने का प्रयास कर सकता है। हालांकि ये सारी बातें जांच का विषय हैं।
5- इस पूरे मामले में लोगों ने एक पक्ष यह भी रखा कि कन्हैया कुमार द्वारा किसी व्यक्ति को बिना जाने बिना समझे किसी पार्टी का सपोर्टर बताना निश्चित तौर पर राजनीतिक फायदे की मंशा के उफान की बात को उजागर करती है।
---हिमांशु तिवारी आत्मीय---
लखनऊ

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