आईआरएनएसएस-1 जी का सफल प्रक्षेपण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

आईआरएनएसएस-1 जी का सफल प्रक्षेपण

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श्रीहरिकोटा 28 अप्रैल, भारत की स्वदेशी उपग्रह नौवहन प्रणाली(आईआरएनएसएस) के पहले चरण के लिये आवश्यक सात उपग्रहों की श्रृंखला के सातवें और आखिरी उपग्रह आईआरएनएसएस-1जी का आज यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया और इसी के साथ भारत ने स्वदेशी जीपीएस बनाने की अपनी मंजिल हासिल कर ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष ए एस किरन कुमार ने कहा कि आईआरएनएसएस-1 जी का प्रक्षेपण सफल रहा और पीएसएलवी ने एक बार फिर अपनी क्षमता साबित किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आईआरएनएसएस-1 जी के सफल प्रक्षेपण पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी। प्रक्षेपण की 51 घंटे 50 मिनट की उल्टी गिनती के बाद आज अपराह्न एक बजकर पचास मिनट पर प्रक्षेपण किया गया। आईआरएनएसएस-1 जी का वजन 1425 किलोग्राम है और यह पूर्ववर्ती उपग्रहों के ही समान है। इसमें भी दो पे-लोड हैं। एक नेविगेशन पे-लोड और दूसरा रेंजिंग पे-लोड। इस प्रक्षेपण के साथ ही भारत अमेरिका रूस के साथ उपग्रह नौवहन प्रणाली रखने वाले विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो गया है।

उपग्रह का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से किया गया। आईआरएनएसएस-1 जी का वजन 1425 किलोग्राम है और यह पूर्ववर्ती उपग्रहों के ही समान है। इसमें भी दो पे-लोड हैं। एक नेविगेशन पे-लोड और दूसरा रेंजिंग पे-लोड। इन्हें एल-5 और एस बैंड पर परिचालित किया गया। प्रणाली के सक्रिय होने के बाद देश के 1500 किलोमीटर के दायरे में 15 से 20 मीटर शुद्धता तक की पोजिशनिंग सेवाएं मिलने लगेंगी। इस शृंखला के सात में से छह उपग्रहों (आईआरएनएसएस-1ए, 1बी, 1सी, 1डी, 1ई और 1एफ) का प्रक्षेपण पहले ही हो चुका है। पहले छह अभियानों की तरह सातवें उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए भी इसरो ने पीएसएलवी के विस्तारित संस्करण (एक्सएल) का उपयोग किया। इस प्रक्षेपण के साथ ही भारत क्षेत्रीय उपग्रह नौवहन प्रणाली रखने वाले विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो गया है।

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