पत्रकारिता और हमारा समाज
प्रद्योत कुमार,बेगूसराय।आज विश्व पत्रकारिता दिवस है,सभी एक दूसरे को शुभकामनाएं दे रहे हैं बहुत अच्छा लगा कि सभी अपने पेशे और कार्य के प्रति जागरूक हैं।पत्रकारिता समाज का आइना है,हम समाज को उनके विभिन्न पलुओं के प्रति जागरूक करने का कार्य करते हैं।अब सवाल ये उठता है कि क्या हम अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह सही ढंग से कर रहे हैं?क्या हम जिसके लिए कार्य कर रहे हैं उनका भरोसा हम पर है?शायद नहीं क्योंकि तब में और आज में बहुत बिखराव आया है,हमारी लेखनी को हमारा ही पाठक वर्ग बिकाऊ मानने लगा है,ये सवाल अक्सर हमारे ही बीच से हमारे सामने खड़ा हो जाता है जिसका जवाब शायद हम ख़ुद देने में सहज महसूस नहीं करते हैं,कारण कि हम अपने पेशे को बेच रहे हैं सिर्फ हम ही नहीं प्रत्येक लोग,प्रत्येक विभाग और प्रत्येक तंत्र अपने-अपने पेशे को बेच रहे हैं,आखिर उन्हें कौन रोकेगा यह एक बड़ी विडंबना है क्योंकि रोकने वाला भी यक़ीनन उसी पंक्ति में खड़ा है।
बाज़ार में तो निर्माता अपना प्रोडक्ट बेचते हैं।प्रोडक्ट और पेशे को बेचने में काफी फर्क है।आज पूरे विश्व में,पूरे देश के नैतिक मूल्यों में जिस प्रकार का गिरावट आया है उसका मूल कारण भी तो वही है।हम अपने मूल कार्य से भटक कर अपना मूल्य तय करने राजनेताओं,ठेकेदारों,ऑफिसरों और उद्योगपतियों को दे दिए हैं जो हमारे ख़ौफ़ से ख़ौफ़ज़दा हुआ करते थे। हमें ख़ुद को समाज के आईने के रूप में स्थापित करने की ज़रूरत है तभी हम समाज को संबल प्रदान कर सकते हैं,तभी हमारा अस्तित्व रहनुमा हो सकता है नहीं तो बेमानी है विश्व प्रेस दिवस हमारे लिए।
राजनीति फलक का नया सितारा कन्हैया
अरुण कुमार,मटीहानी,बेगूसराय। द्वापर का कन्हैया गोपियों से घिरे रहते थे और बेगूसराय,बिहार का कन्हैया गोपों से घिरे हैं।हाल ही में मोदी सरकार के कारनामो की वजह से राजनीतिक फलक का नया सितारा कन्हैया बिहार के दौड़े पर हैं और बिहार के राजनेता उसमें अपना राजनीतिक मुस्तकबिल तलाश रहे हैं और शायद हो भी,क्यूंकि उसके बढ़ते प्रभाव से इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।आर जे डी प्रमुख श्री लालू प्रसाद यादव के इस वक्तव्य से कन्हैया क़ायल हो गया कि बिहार का बेटा कभी ग़लत नहीं हो सकता है। कन्हैया के बिहार दौड़े को लेकर कई तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं।इससे प्रत्यक्ष रूप से किसको फायदा होने वाला है ये तो भविष्य के गर्भ में है फिलहाल तो कन्हैया को जयजयकार मिल रहा है।लेकिन कन्हैया को ये खुद ही तय करना होगा कि उसका राजनीतिक भविष्य कहाँ तक और किसके साथ है,यह एक निर्णायक घड़ी है उसके राजनितिक जीवन के लिए। देश के तमाम कद्दावर नेता कन्हैया को किसी न किसी रूप में अपने साथ देखना और अपना हाथ देना चाहते हैं।
राजनीति फलक का नया सितारा कन्हैया
अरुण कुमार,मटीहानी,बेगूसराय। द्वापर का कन्हैया गोपियों से घिरे रहते थे और बेगूसराय,बिहार का कन्हैया गोपों से घिरे हैं।हाल ही में मोदी सरकार के कारनामो की वजह से राजनीतिक फलक का नया सितारा कन्हैया बिहार के दौड़े पर हैं और बिहार के राजनेता उसमें अपना राजनीतिक मुस्तकबिल तलाश रहे हैं और शायद हो भी,क्यूंकि उसके बढ़ते प्रभाव से इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।आर जे डी प्रमुख श्री लालू प्रसाद यादव के इस वक्तव्य से कन्हैया क़ायल हो गया कि बिहार का बेटा कभी ग़लत नहीं हो सकता है। कन्हैया के बिहार दौड़े को लेकर कई तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं।इससे प्रत्यक्ष रूप से किसको फायदा होने वाला है ये तो भविष्य के गर्भ में है फिलहाल तो कन्हैया को जयजयकार मिल रहा है।लेकिन कन्हैया को ये खुद ही तय करना होगा कि उसका राजनीतिक भविष्य कहाँ तक और किसके साथ है,यह एक निर्णायक घड़ी है उसके राजनितिक जीवन के लिए। देश के तमाम कद्दावर नेता कन्हैया को किसी न किसी रूप में अपने साथ देखना और अपना हाथ देना चाहते हैं।

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