बेगुसराय (बिहार) की खबर (09 मई) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 9 मई 2016

बेगुसराय (बिहार) की खबर (09 मई)

किसान और विज्ञान में तालमेल

begusarai news
अरूण कुमार,मटिहानी,बेगूसराय। आए दिन भारत सरकार की ओर से तो कितने ही तरहों की योजनाओं का चलन चलाया जाता है और फिर वह चलता रहता है।पूर्व में जितने भी योजनाओं का अनुदान चाहे वो किसी भी तरह का हो आम जन-मानस तक शत प्रतिशत पहुँच ही नहीं पाता था क्योंकि उसमें उपर से नीचे तक बिचौलियों द्वारा संचालित कार्यवाही का ही नतीजा था,परन्तु आज आम जन-मानस को किसी भी तरह के अनुदान की राशि सीधे बैंक खाते में जाने की वजह से लाभार्थी को काफी हद तक राहत हुआ है खासकर किसानों के लिए किसान पत्र का बनकर किसानों को मिलना,बैंक में खाते खुलना आदि से जागरूकता आई है।कृषि कार्यालय मटिहानी में किसानों की जागरूकता अभियान के तहत जमीन को उपजाऊ बनाने हेतु हरित खाद के लिए ढैंचा मूंग आदि का बीज आवंटित किया जाता है।जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट का भी प्रयोग खेती के लिए एक वरदान सिद्ध हुआ है सब्सिडी के तहत किसानों को रब्बी और खरीक फसलों के लिए बीजों के साथ साथ कीटनाशी खर पतवार नाशक छिड़काव के लिए दिया जाता है किसान अपने पैसों से डीलरों से सभी सामग्री एक कीट ( यानि ) पैकेज के रूप मे अपना पहचान आईडी,कृषि पत्रों का फोटो कापी बैंक खाता संख्या और क्षेत्र के समन्वयकों द्वारा पारित पर्चियों पर ही आवंटन किया जाता है।उक्त किसी भी प्रकार की सुविधाएं सीधे ब्लॉक से उपलब्ध नहीं है इसके लिए बड़े बड़े कंपनियों के डीलर जैसे देवी प्रसाद मसकरा , राजकुमार सिंह,गिरधारी साव आदि के द्वारा प्राप्त होता है, तकरीबन बेगूसराय जिले के अट्ठारहों प्रखण्डों का प्रक्रिया में समानता है  किसानों को एम आइ एस के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है।कृषि को प्रोत्साहन के लिए कृषि मेला,राज्य,जिला एवं प्रखण्ड गाँव स्तरों पर कार्यशाला,प्रदर्शनी आदि का भी आयोजन समयानुसार किया जाता है। उक्त सारी बातों की पुष्टि कार्यालय में उपस्थित रामदिरी एक  और दो तथा मटिहानी प्रखण्ड के समन्वयक मनोज सिंह,नीकेश,निरंजन कुमार के साथ बीज हेतु आए किसान दीपक कुमार ने  भी उक्त बातों की पुष्टि की।अभी वर्तमान में किसानों को 1630 रूपयों का कीट मक्का बुआई के लिए दिया जा रहा है। समस्तीपुर पुषा में कार्यशाला लगाया गया था और वर्तमान में 15 मई 2016 को मुंगेर में किसान जागरूक मेला और प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला का आयोजन होना सुनिश्चित हुआ है यह जानकारी समन्वयक मनोज सिंह और नीकेश कुमार ने दी।

शराबी,शराब अलोपित,सरकार शराब बंदी को समर्पित

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प्रद्योत कुमार,बेगूसराय। बिहार सरकार ने बिहार में सदा के लिए ब्लैक आउट दिवस घोषित कर शराब को बंद कर दिया,जिसका स्वागत आम आवाम ने किया है,वाकई मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार का ये सराहनिय क़दम है। बिहार सरकार द्वारा इस शराब बंदी को काफी गंभीरता से लेते हुए अभी तो लगभग बिहार के तमाम ज़िलों में शराब एवं शराबियों की गहन जांच हो रही है।अपने द्वारा लागू किये गए इस कानून  को सरकार ने लावारिस नहीं छोड़ा है लेकिन कब तक सरकारी नुमाइंदे ज़िन्दादिली के साथ इसको अपना वारिस मान कर ईमानदारी से कार्य करते हैं ये भविष्य के गर्भ में है।इस शराब बंदी का इतना असर तो हुआ है कि उत्पाद विभाग के अधिकारी जो पहले आम नहीं ख़ास थे अब सरे आम जनता की जन्नत में घूमते नज़र आ रहे हैं। मो०नौशाद युसूफ, जिलाधिकारी बेगूसराय के निर्देश पर उत्पाद अधीक्षक अपने टीम के साथ ज़िला के विभिन्न हिस्सों में ब्रेथ एनालाईज़र के साथ घूमने  और शराबियों को पकड़ने का कार्य कर रहे हैं।छापेमारी के दौरान कुछ ग़रीब,मज़दूर शराबियों की गिरफ्तारी भी हुई है जो ईंट भट्ठी या चिमनी पर अपने रोज़ी-रोटी के लिए कार्य करते हैं।ये गिरफ्तारी चेरियाबरियारपुर,छौड़ाही,मंझोल,नारेपुर,शाहपुर एवं जयमंगलागढ़ से हुई है।बेगूसराय शहर में उत्पाद विभाग की छापेमारी के दौरान हरहर महादेव चौक पर एक पान गुमटी से लगभग 250 ग्राम गांजा और कुछ गांजा भरा सिगरेट बरामद किया गया लेंकिन दूकानदार भागने में कामयाब रहा,वहीँ जी डी कॉलेज के पास एवं बस स्टेण्ड के पास पान गुमटी में गांजा(मात्रा नहीं बाताया गया) बरामद किया गया और एक-एक गिरफ्तारी भी की गई है।ऐसी सक्रियता वाकई क़ाबिले तारीफ़ है,लेकिन यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि इस ज़िला में सिर्फ मज़दूर या ग़रीब शराबियों को हो चिन्हित कर या वैसे भी ब्रेथ एनालाईज़र से जांच किया जा रहा है,एक भी हाई प्रोफाइल या अन्य सफेद पोश लोगों की जाँच नहीं किया जा रही है जबकि शराब बंदी से पहले ऐसे ही लोग ज़्यादा शराब की दुकानों पर दिखते थे आखिर क्या वजह हो सकती है?क्योंकि यहाँ से विरोध की भाषा उठेगी,छोड़ो हटाओ कौन पड़ता है सवाल जवाब के घेरे में और राजनीति के फेरे में।आंकड़ा ही तो देना है,अपना काम ही तो दिखाना है सरकार को,इसके लिए वही लोग काफी हैं।इसीलिए कहते हैं,समरथ को नहीं दोस गोसॉंईं।

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