एड फिल्म से शार्ट फिल्म अब फिल्म की तैयारी : कुन्दन ठाकुर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 14 मई 2016

एड फिल्म से शार्ट फिल्म अब फिल्म की तैयारी : कुन्दन ठाकुर

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आलोक नाथ ,रीमा लागू, श्वेता तिवारी,मनोज तिवारी,सुधा चन्द्रन,आयशा टाकिया जैसे अनेक फिल्मीं सितारों को निर्देशित करने के बाद में कुंदन ठाकुर पिछले कई सालों से एड फिल्म निर्देशित कर रहे है ,उनका मन हिन्दी फिल्म का निर्देशक बनने का किया एक अच्छे विषय निर्देशक बनने की इच्छा रही है। पिछले दो दशक में फिल्म-सेट और कई बड़े निर्देशकों के साथ उठना बैठना होता रहा लेकिन समझ में आने लगा कि असिस्टेंट बनने से बेहतर है कि कुछ अपना ही किया जाए। अकेले में जब सोचने बैठते तो लगता कि समय गुजरता जा रहा है, अगर जल्दी कुछ नहीं किया तो सपना सपना ही बनकर रह जाएगा। तब खुद निर्देशक बनने का फैसला किया। कुंदन ठाकुर के पास अनुभव है, इसके लिए स्वतंत्र रूप से निर्देशक बनने मे कई कठिनाइयां थीं । लेकिन कुछ लोग इनके टैलेंट पर भरोसा कर रहे थे। उसके बाद ही अनेक सीरियल ,टेली फिल्म और एड फिल्मों का निर्माण किया। हाल में प्रोड्यूसर शशि बूबना जी साथ मिला और दो शार्ट फिल्म बनी फस्र्ट एम एम एस शार्ट फिल्म,और बंगला नः 13 इन दिनों यू टयूब पर खासी लोकप्रिय है। 

कुंदन ठाकुर बताते है कि इन दिनों शार्ट फिल्में खासी पापुलर हो रही है,सो मैंने भी सोचा कि फिल्मों की अपेेक्षा कुछ  नया किया जाये। मुझे खुशी है कि मेरा यह प्रयोग कामयाब भी हुआ। वह कहते हैं, ‘‘आज मैं खुश हूं कि मेरी शार्ट फिल्म बनकर तैयार हो गयी है। लेकिन इसके पहले टी सीरीज के  वीडियो अलबम भी बनाया । ‘झ ‘एम एम एस शार्ट फिल्म ’ एक हार्ड हिटिंग फिल्म है, ग्लैमर इंडस्ट्री और सिनेमा के परदे की पीछे की कहानी बयां करेगी कि कैसे कुछ लोगों ने इसे एक सेक्स मार्केट में बदल दिया है। मनोरंजन उद्योग आज संदेह की नजर से देखा जा रहा है।’ दूसरी शार्ट फिल्म ‘बंगला नः 13’भी वर्तमान परिवेश पर आधारित है।  झ कुंदन ठाकुर बताते हैं कि ‘‘उत्तर भारत इस समय सिनेमा के लिए एक बेहतर सब्जेक्ट की तरह है। यहां अपराध के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। चारों और नफरत की हवा चल पड़ी है। एक-दूसरे से प्रतिशोध की घटनाएं भी जोर पकड़ रही हैं। सिनेकर्मी चाहें तो फिल्में बनाकर सोशल मैसेज दे सकते हैं कि समाज को कितना नुकसान हो रहा है। हर कोई एक-दूसरे से कितना डरा डरा सा रहने लगा है यानी विास किस तरह अपने बीच से गायब हो गया है। यथार्थवादी फिल्में बनाना आसान तो नहीं है लेकिन वह जोखिम उठा रहा हूं।’ कुंदन ठाकुर के लिए फिल्म बनाना सिर्फ खुद को चमकाना और व्यवसाय करना नहीं है बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है। निर्देशन के क्षेत्र में  नया नाम नही कुंदन ठाकुर ।  कुंदन ठाकुर मेहनत और ईमानदारी के बल पर हिंदी सिनेमा में अपने को आजमाना चाहते हैं, ताकि उनकी एक अलग पहचान बन सके। उन्हें इस बात का गर्व है।   

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