विश्व इतिहास के लिए ब्रेक्जिट दुखद , भारत पर नहीं होगा असर : सुब्रमण्यम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


सोमवार, 27 जून 2016

विश्व इतिहास के लिए ब्रेक्जिट दुखद , भारत पर नहीं होगा असर : सुब्रमण्यम

brexit-sad-for-world-history-but-won-t-affect-india-subramaniam
पटना 26 जून, केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने (ब्रेक्जिट) के घटनाक्रम को दुखद बताया और कहा कि ब्रेक्जिट के बावजूद भारत अपने मजबूत वृहद अर्थव्यवस्था के चलते प्रभावित नहीं होगा। श्री सुब्रमण्यम ने आज यहां एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान (आद्री) के स्वर्ण जयंती समारोह के तहत आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन में ‘भारतीय अर्थव्यवस्था अवलोकन' विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि ब्रेक्जिट एक दुखद घटनाक्रम है जिसका असर ब्रिटेन और यूरोप दोनों पर पड़ेगा। उन्होंने ब्रेक्जिट घटनाक्रम को शीत युद्ध के बाद विश्व के लिए महत्वपूर्ण पल बताने के साथ इसे बड़ा झटका बताया और कहा कि यह विश्व के नागरिकों , वैश्विकरण के साथ ही एक महान सामाजिक प्रयोग का वापस हो जाना है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने ब्रेक्जिट से देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर पर कहा कि भारत अपने मजबूत वृहद अर्थशास्त्र की वजह से प्रभावित नहीं होगा। देश की अर्थव्यवस्था इसके प्रभावों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है ।

श्री सुब्रमण्यन ने देश के हर राज्य में मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इससे नये विचार निकल कर सामने आयेंगे और नई नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि असमानता के मुद्दे पर पश्चिम देशों में जारी बहस भारतीय संदर्भ में गुमराह करने वाली हो सकती है। आज भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरत शिक्षा , स्वास्थ्य और रोजगार उपलब्ध कराने का एजेंडा है। वहीं सरकार के समक्ष तीन विचाराधीन एजेंडा जीएसटी, सामरिक विनिवेश और ट्विन बैलेंस शीट का है । दाल की लगातार बढ़ रही कीमतों को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में श्री सुब्रमण्यन ने कहा कि देश में दाल के उत्पादन को लाभप्रद बनाने की जरूरत है जिसके लिए प्रोत्साहन की पेशकश करनी होगी।

कोई टिप्पणी नहीं: