एक लम्बे संघर्ष के बाद गरीब छात्रों को षिक्षा में भागीदारी सुनिष्चित कराने हेतु छात्रवृत्ति मिलती रही है। राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार द्वारा षिक्षा वजट में कटौती का बहाना बनाकर अनुसूचित जाति जन जाति एवं अन्य पिछड़े वर्गों के छात्रों की छात्रवृत्ति की कटौती को केबिनेट की बैठक में मंजूरी दिया गया है। इससे प्रारंभिक षिक्षा प्राप्त कर रहे दलित छात्रों की पढ़ाई बाधित हो जाएगा। उच्च षिक्षा में छात्रवृत्ति के विकल्प के रूप में स्टूडेन्ट क्रेडिट कार्ड देने की बात आ रही है। परंतु बिना प्रोत्साहन के प्रारंभिक षिक्षा प्राप्त करना अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति छात्रों के लिए कठिन होगा ऐसे में उच्च षिक्षा के लिए स्टूडेन्ट क्रेडिट कार्ड छलावा साबित होगा।
साथ ही राज्य के बाहर चंडीगढ़,नागपुर दिल्ली, हैदराबाद आदि महानगरों में लाॅ, प्रबंधन मेडिकल इंजिनियरिंग आदि तकनीकी षिक्षा प्राप्त करने वाले अनुसूची, एवं जनजाति छात्रों को पहले बिहार सरकार अधिकतम 90 हजार रूपये की छात्रवृत्ति देती थी जिसमें कटौती कर 15 हजार कर दिया गया है। इससे राजय के बाहर तकनीकी षिक्षा प्राप्त कर रहे दलित आदिवासी एवं अन्य पिछड़े वर्गों के छात्रों का पढ़ाई बीच में ही छोड़कर वापस घर लौटने की विवषता होगी और उन्हें तकनीकी षिक्षा से वंचित रहना पड़ेगा। बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन के राज्य परिषद की यह बैठक प्रस्ताव लेती है कि अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति में कटौती को सरकार वापस ले तथा छात्रों को प्रारंभिक एवं उच्च षिक्षा में दी जा रही छात्रवृत्ति पूर्ववत जारी रखे।

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