नयी दिल्ली, 27 जून, भारत ने व्यापक विनाश के हथियारों को ले जाने में सक्षम प्रक्षेपास्त्रों की प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को नियंत्रित करने वाली प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में 35वें सदस्य के रूप में आज प्रवेश किया। साउथ ब्लाॅक स्थित विदेश मंत्रालय में विदेश सचिव एस. जयशंकर ने फ्रांस के राजदूत अलेक्सांद्र ज़ीगलर, नीदरलैंड के राजदूत अल्फोंसस स्टोयलिंगा और लक्जमबर्ग के राजदूत सैम श्रीनेर की मौजूदगी में इस 34 सदस्यीय समूह में प्रवेश संबंधी दस्तावेज पर आज सुबह करीब दस बजे हस्ताक्षर किये।
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में चीन के अड़ंगे के कारण प्रवेश से वंचित रहने के बाद एमटीसीआर का अंग बनने पर भारत ने उसकी सदस्यता का समर्थन करने के लिये समूह के सभी 34 सदस्य देशों का आभार व्यक्त किया। विदेश मंत्रालय ने बाद में अपने आधिकारिक बयान में भारत की सदस्यता के प्रयासों को अंजाम तक लाने में सहयोग के लिये एमटीसीआर के सह-अध्यक्ष नीदरलैंड के राजदूत पीटर द क्लार्क और लक्जमबर्ग के राजदूत रॉबर्ट स्टेनमेज का भी शुक्रिया अदा किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि 35वें सदस्य के रूप में भारत का एमटीसीआर से जुड़ना अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार के उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में दोनों पक्षों के लिए हितकारी होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस माह के आरंभ में हुई अमेरिका यात्रा के वक्त ही समूह के 34 सदस्यों ने भारत की सदस्यता पर सहमति की मुहर लगा दी। सूत्रों के अनुसार पेरिस स्थित एमटीसीआर के संपर्क अधिकारी ने नयी दिल्ली स्थित फ्रांस, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग के राजदूतों के माध्यम से भारत की सदस्यता स्वीकार किये जाने की जानकारी दी। उसके बाद विदेश सचिव ने प्रवेश संबंधी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करके सदस्यता की औपचारिकता पूरी की। सदस्यता हासिल करने के बाद भारत को सदस्य देशों से अत्याधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी हासिल करने तथा रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र के निर्यात करने की छूट मिल गयी है। अफगानिस्तान में तालिबान पर कहर बरपाने वाले प्रीडेटर ड्रोन (मानव रहित विमान) भी भारत को मिल सकेंगे जिनका इस्तेमाल आतंकवादियाें पर हमले और नक्सली हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के अभियानाें में किया जा सकेगा।
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