लंदन, 18 जून, एफआईएच चैंपियंस ट्राफी हॉकी टूर्नामेंट के फाइनल में पहली बार जगह बनाने वाली भारतीय पुरूष टीम को विवादास्पद शूटआउट में विश्व चैंपियन आस्ट्रेलिया के हाथों 1-3 से पराजय झेलनी पड़ी और अपने पहले रजत पदक से संतोष करना पड़ा। भारत और आस्ट्रेलिया ने चैंपियंस ट्राफी के खिताबी मुकाबले में एक दूसरे को कड़ी टक्कर देने में कोई कसर बाकी नहीं रखी और मैच निर्धारित समय में 0-0 से बराबर रहा। भारत ने दूसरे हाफ में गजब का प्रदर्शन किया और तीसरे और चौथे क्वार्टर में विश्व की नंबर एक टीम के पसीने छुटा दिये। लेकिन भारत का दुर्भाग्य रहा कि उसे विजयी गोल नहीं मिल पाया। मैच के फैसले के लिये पेनल्टी शूटआउट का सहारा लिया गया। यहां आस्ट्रेलिया के दूसरे प्रयास पर विवाद भी हुआ। दरअसल भारतीय गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने आस्ट्रेलिया के दूसरे प्रयास को रेाक लिया था और गेंद उसके पैरों के बीच फंस गई थी। आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने इस पर विरोध जताते हुये रेफरल मांगा और वीडियो अंपायर ने रिप्ले देखने के बाद दूसरा प्रयास फिर से लेने का निर्णय लिया जिसपर आस्ट्रेलिया ने गोल कर शूटआउट में 2-0 की बढ़त बना ली।
भारतीय कोच रोलैंट ओल्टमैंस इस फैसले पर बेहद नाराज नजर आये और भारतीय टीम ने फिर इस पर अपना विरोध भी दर्ज कराया। इस विरोध के कारण ही आधिकारिक परिणाम की घोषणा करने में करीब डेढ़ घंटे की देरी भी हुई। हालांकि विवादास्पद शूटआउट में अंतत: दुनिया की शीर्ष टीम आस्ट्रेलिया 3-1 की जीत के साथ स्वर्ण पदक ले उड़ी। ली वैली हॉकी एंड टेनिस सेंटर में खेले गये इस सांस रोक देने वाले मुकाबले में आस्ट्रेलियाई गोलकीपर टाइलर लोवेल हीरो साबित हुये जिन्होंने विपक्षी भारतीय टीम को शूटआउट में केवल एक गोल ही करने का मौका दिया। आस्ट्रेलिया का यह 14वां चैंपियंस ट्राफी खिताब है। वहीं ओलंपिक चैंपियन जर्मनी ने घरेलू टीम ब्रिटेन को हराकर कांस्य पदक जीता। चैंपियंस ट्राफी के फाइनल में पहली बार पहुंची भारतीय टीम का मैच के शुरूआत से अंत तक प्रदर्शन काबिलेतारीफ रहा। मनप्रीत, रघुनाथ और हरमनप्रीत ने पांच खिलाड़ियों के डिफेंस की कमान को संभालकर रखा और कई अहम मौकों पर रक्षात्मक खेला तथा आस्ट्रेलिया को पहले हाफ में बढ़त लेने से रोका। मैच में आस्ट्रेलिया को 10 पेनल्टी कार्नर और भारत के पास चार पेनल्टी कार्नर आये लेकिन दोनों ही टीमें निर्धारित समय में गोल करने में नाकाम रहीं। आस्ट्रेलिया को पहला पेनल्टी कार्नर 10वें मिनट में मिला और इसके बाद लगातार तीन पेनल्टी कार्नर उनके हाथ आये। लेकिन श्रीजेश, रघुनाथ और सुरेंन्दर की मदद से भारत ने विपक्षी टीम पर दबाव बनाया और उनका रास्ता रोके रखा।
पहले क्वार्टर के दो मिनट शेष रहते भारतीय टीम को भी पेनल्टी कार्नर मिला लेकिन एंड्रयू चार्टर ने इसका बचाव किया। दूसरे क्वार्टर के तीन मिनट के भीतर सुरेन्दर के गेंद को पैर से पकड़ने पर आस्ट्रेलिया को पेनल्टी कार्नर मिला। ब्लेक गोवर्स को इस पर शाट लगाने का मौका मिला लेकिन वह टारगेट पर नहीं लगी। इसके बाद भारत ने अपने आक्रमण को और कड़ा कर दिया और आस्ट्रेलिया के सर्किल में मौके बनाये। लेकिन कामयाबी नहीं मिली और मैच निर्धारित समय में बराबरी पर समाप्त हुआ तथा बाद में शूटआउट कराना पड़ा। रियो ओलंपिक का टिकट हासिल कर चुकी भारतीय टीम ने फाइनल मुकाबले में अपनी योजनाओं और रणनीतियों को बखूबी लागू किया और आस्ट्रेलिया को मध्य में गेंद लेने का मौका नहीं दिया। भारत की रक्षात्मक पंक्ति ने भी कमाल का प्रदर्शन किया। एफआईएच ने मैच के बाद दोनों टीमों के प्रदर्शन की तारीफ करते हुये उन्हें शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा“ एफआईएच दोनों टीमों की तारीफ करना चाहता है। मीडिया, प्रशंसकों ने भी काफी संयम बरता और सभी नियमों को समझा। एफआईएच खासतौर पर भारतीय टीम की प्रशंसा करना चाहता है जिसने इस परिणाम को स्वीकार किया। हम आस्ट्रेलिया को 14वीं बार चैंपियंस ट्राफी खिताब जीतने पर बधाई देते हैं।”

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