- बिहार के छात्रों की डिग्रियों पर किया जा रहा संदेह, उनका भविष्य अधर मंे: ओमप्रसाद
- माले-आइसा व इनौस ने निकाला प्रतिवाद मार्च, मुख्यमंत्री का पुतला फूंका, हुआ राज्यव्यापी प्रतिवाद
पटना 17 जून 2016 पटना आर्ट्स काॅलेज के प्राचार्य को बर्खास्त कर सभी गिरफ्तार छात्रों की अविलंब रिहाई व मामले की न्यायिक जांच,, टाॅपर्स घोटाले में संलिप्त राजनेताओं व इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच, जदयू संरक्षित लालकेश्वर प्रसाद सहित सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने और बीपीएससी के छात्रों की परीक्षा की तिथि में परिवर्तन के सवाल पर भाकपा-माले, आइसा व इनौस ने आज पटना आर्ट्स काॅलेज से प्रतिरोध मार्च निकाला और मुख्यमंत्री का पुतला फूंका. मार्च में आटर््स काॅलेज के भी छात्र शामिल थे. पटना के अलावा नवादा, आरा, सिवान आदि जगहों पर भी यह कार्यक्रम हुआ. मार्च का नेतृत्व भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी की सदस्य शशि यादव, इनौस महासचिव ओमप्रसाद, आइसा नेता आकाश कश्यप, इनौस राज्य सचिव नवीन कुमार, आइसा नेता तारिक अनवर, सुधीर कुमार, रामजी यादव, सोनल नारायण, कुमार अमित, इनौस नेता मनीष कुमार, अजय कुमार आदि ने किया. जबकि इस मौके पर पटना नगर से पार्टी के मुर्तजा अली, नसीम अंसारी, सत्येन्द्र शर्मा, अशोक कुमार आदि कई नेता उपस्थित थे.
पटना में प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नेता व इनौस के राष्ट्रीय महासचिव काॅ. ओमप्रसाद ने कहा है कि पिछले 10 वर्षों में बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल और बुरा हुआ है. कैंपसों में बचा-खुचा लोकतंत्र भी समाप्त हो चुका है, तो यहां भी व्यापक की तर्ज पर टाॅपर्स घोटाले हो रहे हैं. डिग्री पर सवाल खड़ा होने से बिहार के छात्रों की डिग्रियों को संदेह भरी नजरों से देखा जा रहा है, यह बिहार के युवा समुदाय के साथ घोर मजाक है. इसमें जदयू-राजद और भाजपा सभी पार्टियां शामिल हैं. बिहार की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने के लिए इन्हें जनता कभी माफ नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि पटना आटर््स व क्राफ्ट काॅलेज में दलित समुदाय से आने वाले छात्र नीतीश कुमार द्वारा आत्महत्या की कोशिश ने रोहित वेमुला परिघटना को पूरी तरह से ताजा कर दिया है. बिहार में पिछले कई वर्षों से तथाकथित सामाजिक न्याय की ही सरकार चल रही है, लेकिन इस सरकार ने भी कैंपसों को छात्रों और खासकर दलित छात्रों के लिए कत्लगाह बना दिया गया है. दलित समुदाय से आने वाले छात्र सामाजिक तौर पर उत्पीड़ित हो रहे हैं और उन्हें आत्महत्या की ओर धकेला जा रहा है. यह बेहद शर्मनाक है.
आइसा नेता आकाश कश्यप ने कहा कि टाॅपर्स घोटाले में शामिल राजनीतिज्ञों को भी जांच के दायरे में लाना चाहिए और इसकी उच्चस्तरीय जांच करानी होगी. पिछले 10 वर्षों से बिहार के शैक्षणिक क्षेत्र में राजनीतिक संरक्षण व कनेक्शन में खुलकर फर्जीवाड़ा का खेल जारी है. बिहार की नीतीश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कोई प्र्रयास तो नहीं ही किया, यहां तक कि मुचकुंद दूबे आयोग की सिफारिश को भी रद्दी की टोकरी में फेंक दिया, उलटे फर्जीवाड़े का खेल बेधड़क जारी रहा. टाॅपर्स घोटाले ने इस शैक्षणिक फर्जीवाड़े पर से पर्दा हटाया है, लेकिन इसकी संपूर्णता में जांच होनी चाहिए. हमारी मांग है कि इसके राजनीतिक कनेक्शन व संरक्षण को भी जांच के दायरे में लाया जाए और किसी शिक्षाविद् की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय जांच टीम का गठन करके इस मामले की संपूर्णता में जांच करानी जाए.
अन्य वक्ताओं ने कहा कि आटर््स काॅलेज मामले में गिरफ्तार सभी छात्रों की रिहाई, छात्र नेताओं पर किये गये फर्जी मुकदमे व निलंबन की वापसी, पुनः परीक्षा का आयोजन, प्राचार्य की बर्खास्तगी ऐसी मांगें हैं, जिस पर सरकार को अविलंब हस्तक्षेप करना चाहिए और छात्रों की मांगें माननी चाहिए. साथ ही पटना विश्ववि़़द्यालय के कुलपति को भी जांच के दायरे में लाना चाहिए.

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