पटना 08 जून, केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री एवं राष्ट्रीय लोक सकता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफसर एवं एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी)का आरक्षण समाप्त किये जाने के नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ लगाये गये महागठबंधन के आरोप को भ्रामक और बेबुनियाद बताया और कहा कि तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में ही यह निर्णय लिया गया था । श्री कुशवाहा ने आज यहां कहा कि सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता इस मामले को लेकर सिर्फ गलत बयानी कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के जिस तीन जून के पत्र को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर आरोप लगा रहे है वह पूरी तरह से भ्रामक और बेबुनियाद है । केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की यह व्यवस्था राजग सरकार की नहीं है बल्कि केन्द्र की तत्कालीन संप्रग सरकार की देन है । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने जनवरी 2007 में केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में एसोसियेट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों से आरक्षण लागू न करने की व्यवस्था की थी । उन्होंने कहा कि वही व्यवस्था आज भी लागू है ।
श्री कुशवाहा ने कहा कि राजद अध्यक्ष श्री यादव जब संप्रग की सरकार में केन्द्र में मंत्री थे तभी यह व्यवस्था की गयी थी लेकिन उस समय आरक्षण को समाप्त करने के मामले को लेकर श्री यादव ने सवाल नहीं उठाया था । उन्होंने कहा कि जदयू और राजद के नेता इस मुद्दे पर महज ..नौटंकी.. कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि सही मायने में तो जदयू और राजद के नेताओं को महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस से इस मामले पर सवाल पूछना चाहिए । केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी इन पदों पर आरक्षण के पक्ष में है । केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर एवं एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर भी अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को केन्द्र सरकार के सामने रखेगी और इन पदों पर अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की सुविधा लागू कराने की कोशिश करेगी ।

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