नयी दिल्ली, 29 जून, उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाने संबंधी एक नयी याचिका को मुख्य न्यायाधीश के पास आज भेज दिया। न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ ने नर्तक एन. एस. जौहर, पत्रकार सुनील मेहरा, शेफ रितु डालमिया, होटल कारोबारी अमननाथ और व्यवसायी आयशा कपूर की नयी याचिका मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर को सुपुर्द कर दी, जो यह तय करेंगे कि इस याचिका की सुनवाई इसी मसले पर संविधान पीठ के समक्ष लंबित संशोधित याचिका के साथ नत्थी की जाये या नहीं
गौरतलब है कि अपने अधिकारों के खिलाफ लड़ाई को और तेज करते हुए समलैंगिक समुदाय (एलजीबीटी) के लोगों ने एक बार फिर से यौन संबंध में प्राथमिकता को लेकर उच्चतम न्यायालय का रुख किया है और जीने के अधिकार के नाम पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को निरस्त करने की मांग की है। इस धारा के प्रावधानों के तहत दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में आता है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाज फाउंडेशन की याचिका पर इस धारा को निरस्त कर दिया था, जिसके खिलाफ कुछ धार्मिक संगठनों ने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी, जिसने उच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया था। समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाने के मसले पर दो बार दायर याचिका की सुनवाई से इन्कार करने के बाद उच्चतम न्यायालय ने इस साल दो फरवरी को इसे पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज दिया था, जिस पर सुनवाई लंबित है। शीर्ष अदालत ने उस वक्त कहा था कि इस मामले में अनेक कानूनी बिंदु हैं जिनकी समीक्षा की जानी चाहिए।

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