पटना 10 जून, केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री एवं राष्ट्रीय लोक समता पार्टी(रालोसपा) अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने बिहार में इंटरमीडियेट परीक्षा में हुए टॉपर्स घोटाले के लिये सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिम्मेवार ठहराया है और कहा है कि सत्ता संरक्षण के बगैर इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा संभव नहीं हो सकता । श्री कुशवाहा ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि टॉपर्स घोटाला सत्ता में बैठे हुए आरोपियों करीबी लोगों के संरक्षण के बगैर संभव ही नहीं है । संरक्षण नहीं मिलने पर इतना बड़ा घोटाला कैसे किया गया है,यह एक बड़ा सवाल है । उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी बिहार में कई घोटाले हो चुके हैं और उसमें शामिल लोगों को सत्ता का खुला संरक्षण प्राप्त रहा है । केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि श्री कुमार के हाथ में सत्ता की कमान है और ऐसे में उन पर सवाल उठना लाजिमी है । श्री कुमार की टॉपर्स घोटला मामले में जवाबदेही बनती है । उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जो लोग घोटाले में शामिल हैं वह आज बाहर घूम भी रहे हैं और पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पा रही है ।
श्री कुशवाहा ने कहा कि टॉपर्स घोटाला से बिहार की छवि पूरे देश में खराब हुयी है । घोटाले के बाद विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाना मात्र दिखावा भर है । यदि सही मायने में सरकार की मंशा घोटाले में शामिल लोगों की गिरफ्तारी की होती तो अब तक वे पुलिस के हत्थे चढ गये होते । केन्द्रीय मंत्री ने यह पूछे जाने पर कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाने वाले वैशाली जिले के कीरतपुर विशुनदेव राय इंटरमीडियेट कॉलेज के प्राचार्य सह कर्ताधर्ता अमित कुमार उर्फ बच्चा राय भी इस घोटाले में शामिल है , उन्होंने कहा कि राजद अध्यक्ष श्री यादव पर आरोप लगाना उचित नहीं है क्योंकि मुख्यमंत्री श्री कुमार के हाथ में सत्ता की कमान है । श्री कुशवाहा ने केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर एवं एसोसियेट प्रोफेसर के पदों पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी ) के लिये आरक्षण समाप्त किये जाने पर पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा कि यह व्यवस्था विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने केन्द्र की तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में ही लागू की थी । यह व्यवस्था आज भी लागू है । उन्होंने कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस संबंध में कोई भी नया फैसला नहीं लिया है । इस संबंध में किसी भी तरह का सवाल तत्कालीन संप्रग सरकार में शामिल नेताओं से पूछना चाहिए । हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इन पदों पर आरक्षण के पक्ष में है ।

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