चमक की खातिर न जाने कितने सितारे बॉलीवुड में आए, कुछ चमके तो कुछ गर्दिश में फंस गए। हां इस बीच एक ऐसा भी दौर चला कि कुछ को कांधा मिला सहारे के लिए और कुछ को नहीं तो लड़खड़ाकर गिर गए। लेकिन बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपना एक अलग नाम कहिए या फिर मुकाम बना चुकीं कंगना ने खुद के दम पर आज अपने नाम को काबिलियत के दम पर बुलंदियों तक पहुंचाया है। कई लोगों को हो सकता है कंगना की रील नहीं बल्कि रीयल लाइफ पता हो। क्यों पता है क्या। हां तो कुछ के जवाब शायद न में हैं। लेकिन आईये रीयल लाइफ से हम आपको रूबरू कराते हैं।
कंगना की कामयाबी की दलील है 28 की उम्र में 27 फिल्में और तकरीबन 24 अवॉर्ड। यह है बॉलीवुड की क्वीन, कंगना की बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट। सिर्फ 9 साल के करियर में कंगना रनौट दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कंगना ने खुद को स्टैंड करने के लिए किसी मजबूत कांधे का या कहिए किसी सहारे की देखना पसंद नहीं किया।
कहीं न कहीं हमारी आंखों के सामने कंगना की एक तस्वीर बन चुकी है। वो प्यारी सी मासूमियत भरी आवाज, घुंघराले बालों वाली, अल्हड़ सी, मस्ती में डूबी हुई...जी हां शायद ऐसी लकीरें जहन में उकरने के साथ ही हम कल्पनाओं में कंगना को देखना शुरू कर देते हैं। लेकिन कंगना सिर्फ इसी रूप के साथ लोगों के जहन में नहीं बल्कि कंगना म्हारा नाम कुसुम सांगवान, स्पोर्ट्स स्टूडेंट के तौर पर भी लोकप्रिय हैं।
ये रील न साहब रीयल होवे है
कंगना का जन्म 23 मार्च 1987 को हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के पास भांबला में हुआ। उनके पिता अमरदीप एक बिजनेसमैन और मां आशा रनौट स्कूल में टीचर थीं। इनके अलावा परिवार में कंगना की बड़ी बहन रंगोली और एक छोटा भाई है। एक मिडिल क्लास फैमिली में होते हुए भी कंगना बचपन से ही बड़े ख़्वाब देखती थीं। बॉलीवुड में कंगना को स्टाइल क्वीन के नाम से भी जाना जाता है। कंगना के ड्रेसिंग सेंस की तारीफ की जाती है, लेकिन यह शौक कंगना को बचपन से ही था।
मंडी से मुंबई तक का सफर
मंडी की रहने वालीं कंगना का मुंबई तक के सफर में कई छोटे-छोटे पड़ाव आये। इनमें से पहला था चंडीगढ़ का डीएवी स्कूल. यहीं पर कंगना ने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की। डीएवी स्कूल में कंगना मेडिकल पढ़ने आयी थीं पर किताबों से अलग उसकी दिलचस्पी रैंप में थी किसने सोचा था कि कभी डॉक्टर बनने वाली कंगना बॉलीवुड की क्वीन बन जाएगी।
-हिमांशु तिवारी आत्मीय-

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