- पटना आटर््स काॅलेज आंदेालन के समर्थन में जेएनयूएसयू के महासचिव रामा नागा और पूर्व महासचिव चिंटू कुमारी एक दिवसीय अनशन पर बैठे
- कल बेउर जेल में करेंगे गिरफ्तार छात्र नेताओं से मुलाकात
पटना 20 जून 2016, बिहार की नीतीश सरकार भी केंद्र की मोदी सरकार की तर्ज पर चल रही है. जिस प्रकार से जेएनयू सहित कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्रों के खिलाफ केंद्र सरकार ने युद्ध थोप रखा है, ठीक उसी प्रकार नीतीश सरकार पटना आर्ट्स काॅलेज के छात्रों के प्रति लगातार उपेक्षा का रवैया अपना रही है और दमनात्मक कार्रवाई कर रही है. पटना आर्ट्स काॅलेज के आंदोलन के साथ पूरा जेएनयू का छात्र समुदाय है. हम जेएनयू के छात्र समुदाय की ओर से इस आंदेालन को अपना भरपूर समर्थन देते हैं.
उक्त बातें आज पटना आटर््स काॅलेज आंदोलन के समर्थन में एक दिवसीय अनशन पर बैठे जेएनयूएसयू के महासचिव व आइसा नेता रामा नागा और पूर्व महासचिव चिंटु कुमारी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कही. विदित हो कि इन दोनों नेताओं ने जेएनयू में हालिया छात्र आंदोलन में लंबे समय तक अनशन पर बैठे हुए थे. रामा नागा उड़ीसा के दलित समुदाय से आने वाले छात्र हैं, वहीं चिंटू कुमारी बिहार के भोजपुर जिले के महादलित परिवार से संबंध रखती हैं. इन देानों नेताओं पर जेएनयू प्रशासन ने 9 फरवरी की घटना की आड़ में अनुशासनात्मक कार्रवाई की है. ये दोनों छात्र नेता कल 21 फरवरी को जेल में बंद छात्र नेताओं से मुलाकात भी करेंगे.
छात्र नेताओं ने कहा कि बिहार में. पटना आटर््स काॅलेज का मामला हो या फिर पटना विश्वविद्यालय के अन्य विभागों का, छात्र आंदोलन के प्रति प्रशासन का रवैया बेहद संवेदनहीन है. पटना आटर््स काॅलेज में अपनी जायज मांगों को लेकर छात्र कई दिनों से आंदोलनरत हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें लाठी-गोली के सिवा कुछ नहीं दिया. यहां तक कि सत्ताधरी पार्टी जदयू के छात्र संगठन ‘छात्र समागम’ द्वारा आंदोलनकारियों पर हमले करवाए गए, उनपर फर्जी मुकदमे लादे गये और उन्हें जेल भेज दिया गया. इन तमाम परिस्थितियों से तंग आकर आटर््स काॅलेज का दलित समुदाय से आने वाला छात्र नीतीश कुमार ने आत्महत्या करने की कोशिश की. .उन्होंने मांग की एआईएसएफ के राज्य सचिव सुशील कुमार सहित सभी छात्र नेताओं पर से मुकदमा वापस लेते हुए उनकी अविलंब रिहाई करवाई जाए. उन्होंने नीतीश कुमार से मुलाकात भी की.
उन्होंने आगे कहा कि नेताओं ने कहा कि टाॅपर घोटाले की वजह से आज बिहार की जगहंसाई हो रही है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की डिग्री की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान उठ खड़े हुए हैं, यह बिहार के छात्रों के लिए बेहद अपमानजनक और घातक है. पिछले 10 वर्षों से बिहार के शैक्षणिक क्षेत्र में राजनीतिक संरक्षण व कनेक्शन में खुलकर फर्जीवाड़ा का खेल जारी है. सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए मुचकुंद दूबे आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर तो ध्यान नहीं ही दिया, उलटे फर्जीवाड़े का खेल बेधड़क जारी रहा. टाॅपर घोटाले ने इस शैक्षणिक फर्जीवाड़े पर से पर्दा हटाया है, लेकिन इसकी संपूर्णता में जांच होनी चाहिए. हमारी मांग है कि इसके राजनीतिक कनेक्शन व संरक्षण को भी जांच के दायरे में लाया जाए और किसी शिक्षाविद् की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय जांच टीम का गठन करके इस मामले की संपूर्णता में जांच करायी जाए.
कैंपस में बचे-खुचे लोकतंत्र को भी समाप्त कर देने की नीयत से आइसा के राज्य उपाध्यक्ष तारिक अनवर सहित आंदोलनकारी छात्रों को ‘आतंकवादी’ कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है. यदि जेएनयू में छात्रा नेताओं को ‘देशद्रोही’ और यहां ‘आतंकवादी’ कहा जा रहा है, तो केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों में क्या अंतर रह जा रहा है? यह बेहद चिंताजनक है.

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें