लोगों के मन से अविश्वसनीयता दूर करे कर प्रशासन : मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 16 जून 2016

लोगों के मन से अविश्वसनीयता दूर करे कर प्रशासन : मोदी

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नयी दिल्ली 16 जून, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर प्रशासन से करदाताओं में मौजूद उत्पीड़न के भय और अविश्वसनीयता को दूर करने तथा देश में करदाताओं की संख्या बढाने का आह्वान करते हुये आज कहा कि देशवासी स्वभाव से कर चोर नहीं हैं, लेकिन उनके मन में कर देने के बाद होने वाले संभावित उत्पीड़न के भय से वे पीछे हट जाते हैं। श्री मोदी ने राजस्व संग्रह में महत्वपूर्ण भूूमिका निभाने वाले केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अधिकारियों के दो दिवसीय संयुक्त सम्मेलन ‘राजस्व ज्ञानसंगम’ का आज यहाँ शुभारंभ करते हुये कहा कि सम्मेलन समाप्त होने के बाद यह कर्मसंगम में बदल जाना चाहिये ताकि इससे जो विचार आयेंगे उन्हें हकीकत में बदला जा सके। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने कर अधिकारियों के साथ बंद कमरे में सीधे संवाद किया है। इसमें मीडिया को प्रवेश नहीं दिया गया। लेकिन, उद्घाटन सत्र के बाद वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा, राजस्व सचिव हसमुख अधिया, सीबीडीटी के अध्यक्ष अतुलेश जिंदल और सीबीईसी के अध्यक्ष नजीब शाह ने संवाददाताओं को श्री मोदी द्वारा दिये गये भाषण के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने कर प्रशासन के लिए पाँच सूत्री चार्टर आरएपीआईडी (रैपिड) सुझाते हुये कहा कि ‘आर’ का मतलब रिवेन्यू (राजस्व), ‘ए’ का अर्थ अकाउंटेबिलिटी (जिम्मेदारी), ‘पी’ का अर्थ प्रोबिटी (सत्यनिष्ठा), ‘आई’ का मतलब इंफॉर्मेशन (सूचना) और ‘डी’ का अर्थ डिजिटाइजेशन (डिजिटलीकरण) है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देशवासी स्वभाव से कर चोरी करने वाले नहीं है लेकिन कर देने या रिटर्न भरने के बाद पूछे जाने वाले संभावित सवालों और उससे होने वाली तकलीफों के भय से वह कर नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि देशवासी कानून का आदर करते हैं और कानून से डर के बावजूद जो लोग कर चोरी करते हैं उनमें भी कर अधिकारियो से भय नहीं होना चाहिए। कर अधिकारियों को लोगों के साथ सदैव सौम्य एवं सौजन्यपूर्ण होना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि भारत आज इतिहास के अनूठे चरण में है और सरकार को लोगों की आकांक्षाएं पूरी करनी चाहिए ताकि देश का विकास हो सके। उन्होंने कहा कि आज मनरेगा श्रमिक के बच्चे आईआईटी जैसे संस्थानों में आ रहे हैं जिससे यह पता चलता है लोगों की अपेक्षायें अधिक है और उसे पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कर अधिकारियों से करदाताओं के बीच विश्वसनीयता बढ़ाने को महत्वपूर्ण बताते हुये कहा कि एक करोड़ से अधिक लोगों ने गिव इट अप के तहत रसोई गैस सब्सिडी छोड़ी है। ऐसे में लोगों को कर चोरी के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने करदाताओं की संख्या बढ़ाकर 10 करोड़ करने पर जोर देते हुये कहा कि देश में 25 करोड़ परिवार है जबकि अभी मात्र 4.5 करोड़ लोग ही रिटर्न भर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें से भी 92 प्रतिशत लोग ई रिटर्न भर रहे हैं और मात्र आठ फीसदी ही कर विभाग के अस्सेमेंट से आता है। उन्होंने कर अधकारियों द्वारा दिये गये सुझावों का उल्लेख करते हुये कहा कि करदाताओं की संख्या बढाने में भी अधिकारियों को नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभानी चाहिए।

श्री माेदी ने अपने संबोधन से पहले अधिकारियों से कर क्षेत्र से जुड़े मुद्दे पर सुझाव देने और सवाल करने की अपील की जिसमें 15 अधिकारियों ने अपने विचार रखे। इनमें से पाँच सहायक आयुक्त स्तर के युवा अधिकारी भी शामिल थे। कुछ अधिकारियों ने डिजिटलीकरण, स्वैच्छिक कर अनुपालन, करदाताओं के लिए सुविधायें, कर आधार बढ़ाने, कर प्रशासन के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही मूलभूत सुविधायें बढ़ाने पर जोर दिया। श्री अधिया ने कहा कि एक अधिकारी ने कर फैसिलिटेशन कानून बनाने का सुझाव दिया तो एक अन्य ने लोगों को सरल भाषा में कर के बारे में समझाने पर जोर दिया। इस सम्मेलन में वित्त मंत्री अरुण जेटली, वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्रा, राजस्व सचिव हसमुख अधिया के साथ ही सीबीडीटी और सीबीईसी के अध्यक्ष भी उपस्थित थे। 

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