विश्‍व के लिए ब्रिटेन का ईयू से बाहर जाना दुर्भाग्यपूर्ण : भट्टाचार्य - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 5 जुलाई 2016

विश्‍व के लिए ब्रिटेन का ईयू से बाहर जाना दुर्भाग्यपूर्ण : भट्टाचार्य

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न्यूयॉर्क: देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक की अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि आज की ऐसी दुनिया जो कि एक-दूसरे से पहले से काफी ज्यादा जुड़ी हुई है उसके लिये ब्रेक्जिट ठीक नहीं है। वैश्वीकरण के मौजूदा दौर में यह ‘एक कदम पीछे जाना’ है। भट्टाचार्य ने न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट के पूर्व मुख्य डिजिटल अधिकारी श्रीनिवासन के साथ सीधे फेसबुक चैट के दौरान कहा, ‘‘मेरा मानना है कि हमें वैश्वीकरण से अधिक फायदा होगा। ब्रेक्जिट इस लिहाज से ‘एक कदम पीछे हटना’ है। आप एक दूसरे से जुड़े होने के बजाय एक कदम पीछे हट रहे हैं। सैद्वांतिक तरीके से भी यदि आप इसे देखें तो ब्रेक्जिट ऐसी चीज नहीं है जो कि दुनिया के लिये संभवत: अच्छी होगी।’’ भट्टाचार्य न्यूयॉर्क की यात्रा पर हैं और वे यहां निवेशकों और रेटिंग एजेंसियों के साथ बैठक करेंगी।

ब्रेक्जिट के बाद भारतीय परिप्रेक्ष्य के लिहाज से भट्टाचार्य ने कहा, "भारत को यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ व्यापारिक मुद्दों का नए सिरे से निरीक्षण करना होगा और उनसे फिर से बातचीत करनी होगी।" विश्व के वित्तीय क्षेत्र में सबसे शक्शिाली और प्रभावी महिलाओं में शामिल भट्टाचार्य ने कहा कि ब्रेक्जिट अच्छी चीज नहीं है क्योंकि ज्यादा जुड़ी हुई और सहयोगी दुनिया सभी के लिए बेहतर होगी। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे ख्याल से हमारा दुनिया के साथ कम समावेशी होना अच्छा नहीं है।’’ भट्टाचार्य ने कहा कि ब्रेक्जिट का सीधे एसबीआई पर कोई बड़ा असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बैंक की ब्रिटेन में 12 शाखाएं हैं जो विशेष किस्म के परिचालन से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा एक शाखा है कि जो थोक परिचालन करती है जिसमें कुछ नरमी आ सकती है।

भट्टाचार्य ने कहा कि ब्रेक्जिट का स्टेट बैंक के परिचालन पर बहुत थोड़ा असर होगा लेकिन ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से बाहर निकलने का फैसला सही नहीं है। पिछले महीने भट्टाचार्य ने कहा था कि ब्रेक्जिट भारत को यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में बेहतर बाजार पहुंच उपलब्ध कराएगा, हालांकि इस दौरान बाजारों में कुछ उतार-चढ़ाव आ सकता है। भट्टाचार्य ने कहा था, ‘‘जोखिम से दूर रहने की भावना के चलते वित्तीय बाजारों में गिरावट आएगी और दूसरे देशों के साथ ही भारत में भी इसका असर होगा। लेकिन जैसे- जैसे व्यापार रणनीतियों पर काम होगा भारत के लिये यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में बेहतर बाजार पहुंच के तौर पर संभावित लाभ होंगे।’’

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