हरिद्वार में नमामि गंगे की शुरुआत,गंगा रक्षा कानून बनेगा : उमा भारती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 7 जुलाई 2016

हरिद्वार में नमामि गंगे की शुरुआत,गंगा रक्षा कानून बनेगा : उमा भारती

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हरिद्वार 07 जुलाई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना‘नमामि गंगे’ की आज यहां विधिवत शुरूआत की गयी। केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी,जल संसाधन एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गंगा को निर्मल बनाने के अभियान का हरिद्वार में शुभारंभ किया । इस योजना के अन्तर्गत उत्तराखंड में 47 परियोजनाओं का शुभारंभ किया गया,इसके तहत सीवेज ट्रीटमेंट संयत्रों का विकास एवं नवीनीकरण,विभिन्न घाटों का नवीनीकरण,गंगा के किनारे वृक्षारोपण तथा जैव विविधता के संरक्षण कार्याें को शामिल किया गया है। श्री गडकरी और सुश्री भारती ने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जन सहभागिता पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने 2018 तक गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने का संकल्प भी दोहराया। उन्होंने इसके लिए सख्त कानून बनाने की बात कही। सुश्री भारती ने कहा कि इस सम्बन्ध में सख्त कानून बनाया जाएगा जिसे राज्यों की सहमति के बाद पूरे देश में लागू किया जाएगा । गंगा को मैला करने वाले संस्थानाें और औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।

श्री गडकरी ने कहा कि 1985 में शुरू की गयी गंगा प्रदूषण योजना पर चार हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आये और गंगा मैली ही रही । इसके लिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने बीड़ा उठाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशन में इस योजना को हर हाल में अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने बताया कि नमामि गंगे के तहत करीब 1500 करोड़ रुपये की लागत से 231 कार्य होंगे जिनमें आज 100 कार्यों की एक साथ शुरूआत हो गयी है। इसमें छोटे-बड़े सभी कार्य शामिल हैं। इन कार्यों में सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र की 60 परियोजना तथा 1142 छोटे-बड़े कार्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी तकनीक के आधार पर कचरे और सीवेज के पानी से मीथेन गैस तथा बिजली बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है जिसमें सभी राज्यों का सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि औद्योगिक कचरा और गन्दे पानी को साफ करने का जिम्मा अब उन्हीं पर होगा। ऐसे संस्थानों को संशोधित पानी ही सप्लाई किया जाएगा ताकि स्वच्छ पानी की बचत हो सके। उन्होंने गंगा को स्वच्छ बनाने और प्रदूषण मुक्त कराने के लिए जन सहभागिता को जरूरी बताते हुए इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया । सुश्री भारती ने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय ने 100 साल पहले अंग्रेजों से गंगा की धारा को अविरल और निर्मल बनाने का अनुबंध किया था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार उसी भावना से काम कर रही है। गंगा की धारा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए कुल 20 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे । उन्होंने बताया कि जल की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ गंगा में गन्दगी गिराने और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए नये कड़े कानून का भी खाका तैयार हो चुका है। राज्यों की सहमति के बाद इसे लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी साल अक्टूबर तक गंगा को निर्मल बनाने के परिणाम आने शुरू हो जायेंगे और 2018 में इस कार्य को पूरा कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए इस परियोजना की समीक्षा के लिए त्रिस्तरीय समिति भी काम करेगी,जो इस पर परियोजना की प्रगति पर निगाह रखेगी। उन्होंने कहा कि वह भी जन जागरण के लिए गंगा किनारे बसे प्रदेशों में पद यात्रा करके गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए लोगों को प्रेरित करेंगी।

केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा ने इस मौके पर कहा कि गंगा लोगों की आजीविका से भी जुड़ी है। पर्यटन और संस्कृति का गंगा से अटूट नाता है। अतः लोगों को इस बारे में जागरूकता से काम करना होगा। गंगा में जल मार्ग का विकास करके व्यापार और पर्यटन के नये रास्ते खोले जा सकते हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्य सरकार गंगा को निर्मल बनाने के लिए प्रयासरत है लेकिन इसके लिए समुचित बजट की आवश्यक्ता है। यदि केन्द्र सराकर बजट देती है तो गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए उत्तराखंड सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी । उन्होंने कहा कि नदियों और जल के सरंक्षण के लिए राज्य सरकार ने भी काफी काम किया है । यहां सीवेज संशोधन का काम भी वैज्ञानिक तरीके से हो रहा है लेकिन गंगा की सहायक नदियों को साफ किये बिना गंगा को साफ रखना नामुमकिन है। उन्होंने गंगा की सफाई और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की मांग करते हुए कहा कि गंगा का उद्गम उत्तराखंड से होता है,अतः केन्द्र सरकार को उत्तराखंड को पर्याप्त बजट देकर इस मिशन को कामयाब बनाने के लिए ठोस पहल करनी चाहिए। राज्य सरकार गंगा की धारा की अविरलता और निर्मलता में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।

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