एक माँ ने दिया चार बच्चों को जन्म
अरुण कुमार,मटिहानी,बेगुसराय।भगवानपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक महिला ने चार बच्चों को जन्म दी है।प्रसूतिका का नाम,सविता देवी,पति-संजय शर्मा,घर-रसलपुर,जिला-बेगुसराय है।चार बच्चों में एक लड़की और तीन लड़का है।समाचार प्रेषण तक चारों बच्चे जीवित थे।किसी मनुष्य(महिला) ने एक साथ चार-चार बच्चों को जन्म दिया सचमुच ये अनोखी बात है।जहाँ विज्ञान की सोच ठहर जाती है प्रकृति वहां से अपना काम शुरू करती है।हालांकि विज्ञान भी इस अनोखा संयोग को एक वैज्ञानिक आधार देने की कोशिश करेगा जो बेमानी होगा।अगर विज्ञान के हाथ में ये होता तो हर औरत बार बार प्रसव पीड़ा को झेलने से बचने के लिये दो या तीन बच्चों को एक साथ जन्म देकर निश्चिन्त हो जाती,यही सच है और यही है क़ुदरत का करिश्मा,जहाँ विज्ञान ठहर जाता है।बेगूसराय में ये उक्त बच्चों का जन्म इसका जीता जागता सबूत है।उस माँ के लिए जिसने चार चार बच्चों को एक साथ जन्म दिया अपनी ममता की छाँव में चारों बच्चों को रखेगी लेकिन किसी भी बच्चे को ईश्वर ना करे कुछ हो,अगर कुछ हुआ तो उसके दर्द का अनुमान लगाना कितना कठिन है क्यूंकि सारे बच्चों का जीवित रहना या रख पाना थोड़ा कठिन महसूस हो रहा है।बाक़ी तो उस मालिक के हाथ में है।
"चुन्नू-मुन्नू" नाटक नहीं एक सन्देश है
प्रद्योत कुमार,बेगूसराय।अभी के इस दौर में चुन्नू मुन्नू जैसे प्रयोगधर्मी बाल नाटक की आवश्यकता है,जिसमें बच्चों के ख़िलाफ़ हो रहे अनैतिक, अत्याचार की तस्वीर शब्दों से खिंची गई हैं।नाटक दृश्य काव्य की वो मजबूत कड़ी है जिसके माध्यम से हम समाज में हो रहे बुराइयों को दर्शक तक पहुँचाने का कार्य करते हैं ताकि हम स्वस्थ्य समाज का निर्माण कर सकें,चुन्नू मुन्नू भी इन्हीं बुराइयों पर एक कड़ा प्रहार है।समाज की कई बुराइयों को एक साथ,एक सूत्र में साथ ले चलने का प्रयास किया है नाटककार ने,जिसमें थोड़ा बिखराव अवश्य आया है क्योंकि सभी तत्व का समायोजन अपने मूल कथ्य से थोड़ा अलग हो गया है।पुलिस की कार्यशैली पर कई ऐसे सवाल खड़े किये गये जो यथार्थ है,आये दिनों आम लोग उस परेशानी से झुझते रहते हैं।इस बाल नाटक में उस परिवार के दर्द को,आंसू को बहुत ही क़रीब से महसूस किया गया है जिनके मासूम बच्चे का अपहरण कर हत्या कर दिया जाता है और प्रशानिक अपंगता अपराधियों के सामने घुटने टेक देता है।यह नाटक वर्तमान लकवाग्रस्त सिस्टम पर कई ऐसे सवाल छोड़ जाता है।उक्त नाटक के नाटककार दीपक सिन्हा प्रगतिशील रंगकर्मी के रूप में जाने जाते हैं जिन्हें कई रंग सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है,जो बेगूसराय के गर्व की बात है।इस बाल नाटक चुन्नू मुन्नू का आवरण चित्र छोटी बच्ची गाथा सिन्हा के द्वारा बनाया गया है।
हुसैना दियार में नाव डूबने से दो की मौत
संतोष कुमार,बलिया,बेगूसराय।दो दिनों पूर्व अदबील हुसैना घाट ज़िला लखीसराय से हुसैना घाट(कोहबा घाट) बेगूसराय आने के दरम्यान एक नाव पर 13 आदमी सवार थे गंगा में जल स्तर काफी बढ़े रहने के कारण नाव बीच नदी में डूब गया जिसमें दो लोगों की मौत हो गई,बाक़ी 11 आदमी तैर कर अपनी जान बचाने में सफल रहे।विनय कुमार उर्फ विकास कुमार,उम्र 14 वर्ष,पिता सागर साह,पहाड़पूर, बेगूसराय की लाश आज नौरंगा घाट,मुंगेर ज़िला के पास 2.30 बजे दोपहर को मिली।इस लाश को एन डी आर एफ के गोता खोरों ने लगातार दो दिनों की मिहनत पर खोज निकाली वहीं दूसरे आदमी सागर साव,पिता स्व० अजबलाल साव,पहाड़पुर दियारा,बेगूसराय निवासी की लाश अभी तक नहीं मिल पाई है जबकि खोज अभी भी ज़ारी है।बताता चलूँ कि जो लाश मिली वो घटना स्थल से लगभग 5 किलोमीटर दूर जाके मिली क्योंकि पानी में इतना तेज़ बहाव है।उक्त लाश को ढूंढने में पहाड़पुर दियारा के मुखिया पति किशोर महत्तो ने भी प्रशासन को सहयोग किया है और कर भी रहे हैं।प्रशासन को चाहिए कि बढ़े हुए जल स्तर में जान को जोख़िम में डाल कर नाव की सवारी को प्रतिबंधित करें या कोई अन्य सुरक्षित व्यववस्था दें।



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