नयी दिल्ली 08 जुलाई, उच्चतम न्यायालय ने आज स्पष्ट किया कि सेना और अर्द्धसैनिक बल उन इलाकों में भी अतिशय बल का इस्तेमाल नहीं कर सकते जहां उन्हें सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के तहत अतिरिक्त अधिकार हासिल हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि मणिपुर में सुरक्षाबलों के हाथों हुई फर्जी मुठभेड़ के 1528 मामलों की जांच होनी चाहिए और अगर सेना चाहे तो वह भी इन मामलों की स्वतंत्र जांच कर सकती है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल की पीठ ने कहा कि बीते दो दशकों में हुईं इन मुठभेड़ों की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए। हालांकि न्यायालय को इस बात से भी आपत्ति नहीं है कि सेना इन मुठभेड़ों की जांच खुद करे। राज्य में विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गये लोगों के परिजनों की याचिका में आरोप लगाया गया है कि मणिपुर में फर्जी मुठभेड़ करने के बाद भी सुरक्षाबल के जवान विवादित अफस्पा की आड़ में कानूनी कार्रवाई से बच जाते हैं। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने आयोग को ‘दंतविहीन ’की संज्ञा देते हुए कहा कि उसे इस मामले की विस्तृत सुनवाई करने के लिए ज्यादा शक्तियां चाहिए होंगी।
शुक्रवार, 8 जुलाई 2016
‘अफस्पा के बावजूद अतिशय बल का इस्तेमाल नहीं’
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