शिक्षा व्यवस्था को सामयिक परिवर्तनों के साथ सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता : कोविंद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 3 जुलाई 2016

शिक्षा व्यवस्था को सामयिक परिवर्तनों के साथ सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता : कोविंद

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पटना, 03 जुलाई, बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविन्द ने वैश्विकरण के वर्तमान दौर में राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षा एवं परीक्षा-व्यवस्था को सामयिक परिवर्तनों के साथ सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए आज कहा कि ऐसा कर छात्रों को विश्वस्तरीय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सकेगी। श्री कोविन्द ने यहां ‘‘उच्च शिक्षा परीक्षा बोर्ड के औचित्य’’ विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि इक्कीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक में शिक्षा का भूमंडलीकरण हो रहा है। ऑनलाईन नामांकन, ऑनलाईन परीक्षा, ऑनलाईन परीक्षा परिणाम और मास ऑनलाईन ओपन कोर्सेस (एमओसीसी) की प्रतिस्पर्धा में, बिहार के विश्वविद्यालयों की परीक्षा-व्यवस्था को सामयिक परिवर्तनों के साथ सामंजस्य स्थापित करना आवश्यक है। राज्यपाल ने कहा कि वस्तुतः परीक्षा बोर्ड के गठन के साथ ही, सभी विश्वविद्यालयों में समान पाठ्यक्रम, समय पर पाठ्यक्रमों के अध्यापन को पूरा करने के साथ ही परीक्षा-कार्यक्रम और परीक्षाफल की तिथि का निर्धारण एवं समय पर सभी छात्रों में अंक-पत्र और डिग्री के वितरण जैसे कार्यो की प्रक्रियाओं पर भी गंभीरतापूर्वक विचार-विमर्श की जरूरत है। 

श्री कोविंद ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की इस वर्ष अबतक दो महत्वपूर्ण बैठकें राजभवन में सम्पन्न हो चुकी हैं। इनमें एक महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया है कि विश्वविद्यालयों में ‘च्वाइस बेस्ड क्रेटिड सिस्टम’ को लागू कर बिहार के छात्रों को भी विश्वस्तरीय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाये। लेकिन, सिर्फ उच्च शिक्षा-व्यवस्था की शिक्षण-प्रक्रिया और शिक्षण-विधि में परिवर्तन लाने से विश्वस्तरीय शिक्षा की नींव नहीं रखी जा सकती है। इसके लिए परीक्षा-व्यवस्था को भी पारदर्शी, समयबद्ध, विश्वसनीय और पूर्णतः कदाचार मुक्त बनाने की जरूरत है। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय से संबंधित एक ‘मोबाइल एप’ का उद्घाटन किया तथा विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘‘विद्यापति का काव्य-शिल्प’’ का विमोचन भी किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री डा. अशोक चौधरी ने कहा कि नियमित एकेडमिक सेशन, समय पर परीक्षा-आयोजन, स्वच्छ एवं गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकन, समय पर परीक्षा-फल प्रकाशन, परीक्षा-कैलेण्डर, परीक्षा-मैनुअल आदि की तैयारी जैसे मुद्दे इस विमर्श के दौरान काफी महत्वपूर्ण हो गये हैं। उद्घाटन सत्र में बी0आर0ए0 बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति ने ‘उच्च शिक्षा परीक्षा बोर्ड’ के औचित्य पर अपने पावर-प्रेजेन्टेशन के जरिए इसके विविध पहलुओं और आयामों की व्यापक चर्चा की। कार्यशाला में ‘उच्च शिक्षा परीक्षा बोर्ड’ के औचित्य पर दो सत्रों में विचार-विमर्श का कार्यक्रम निर्धारित है। इसमें दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 एच0 एस0 राठौर, राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 आर0 सी0 श्रीवास्तव, पूर्व कुलपतिगण डॉ 0 प्रेमा झा, सहित बिहार राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को संबोधित करना है। 

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