सुल्तानगंज से बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए कांवरिया इस बार नए तेवर में दिखाई देंगे। इसबार मिथिला की सांस्कृतिक पहचान पाग पहनकर कांवरिया भगवान शिव को यह सन्देश देंगे की जिस मिथिला में वे कभी उगना के रूप में आए थे। उस मिथिला की दिशा और दशा बदलने के लिए भोले बाबा की एक नजर देने की जरुरत है। गौरतलब है कि पाग मिथिला की सांस्कृतिक पहचान है।
कहा जाता है मिथिला के महाकवी विद्यापति के घर महादेव साक्षात् उगना के रूप में आए थे। विद्यापति शिव के परम भक्त थे एवं उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव मिथिला आए थे। इसबार 19 जुलाई से श्रावण शुरू हो रहा है इस श्रावण के महीने में सुल्तानगंज से जल लेकर बाबा वैद्यनाथ को जल अर्पित करने का विशेष महत्व है। लाखों की संख्या में शिव भक्त कांवर लेकर देवघर जाते है यह गीत आजकल सोशल मीडिया पर धूम मचाए हुए है। मिथिला से जाने वाले कांवरिया की संख्या अच्छी खासी रहती है।
गौरतलब है मिथिला के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए मिथिलालोक फाउंडेशन पाग बचाउ अभियान चला रहा है। मिथिला की ओर बाबा भोलेनाथ को दृष्टि आकर्षित करने लिए इसबार पाग पहनकर कांवरिया भोलेशंकर के चरण में पहुंचेंगे। पाग कांवरिया के लिए एक विशेष गीत मिथिलालोक फाउंडेशन के संस्थापक डॉ बीरबल झा ने लिखा है जिसका स्वर एवं संगीत मिथिला के प्रसिद्ध गायक श्री विकास झा ने दिया है। हे भोलाबाबा यौ हम कांवरिया आबि रहल छी मिथिलाधाम सं, पाग पहिर क मिथिलागाम सं। पाग हमर पहचान यौ -2 । पाग कांवरिया बोल बम - बोल बम, पाग बम - बोल बम ------------ यह गीत आजकल सोशल मीडिया पर धूम मचाए हुए है।

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