प्रिटोरिया,08 जुलाई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की दावेदारी का समर्थन करने के लिए दक्षिण अफ्रीका का आभार जताया है। श्री मोदी ने आज प्रिटोरिया में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा “ एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन करने के लिए मैं श्री जूमा को धन्यवाद देता हूं। हम दक्षिण अफ्रीका जैसे अपने मित्र देश की ओर से मिले इस खुले समर्थन के प्रति आभारी हैं।” प्रधानमंत्री ने इस मौके पर भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच सबंधों को और घनिष्ठ बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि दोनों के बीच खनिज,खनन,रसायन,सूचना प्रौद्योगिकी, विनिर्माण और फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में निवेश और व्यापार बढ़ाने की प्रचुर संभावनाएं है। उन्हाेंने पिछले 10 सालों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 300 गुना से ज्यादा बढ़ने का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय कंपनियों के दक्षिण अफ्रीका से गहरे हित जुड़े हैं। इन कंपनियों के वैश्विक स्तर पर किए गए निवेश का एक चौथाई हिस्सा अकेले दक्षिण अफ्रीका में है। प्रधानमंत्री ने कहा“मैं इस बात से पूरी तरह आश्वस्त हूं कि व्यापारिक स्तर पर दोनों देशों के बीच परस्पर संंबंध दोनों देशों के बीच सिर्फ आर्थिक लाभ का ही जरिया नहीं बनेंगे बल्कि इससे दोनों मुल्कों के रिश्तों को एक नया आयाम भी मिलेगा जाे इसे नयी ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग सिर्फ क्षेत्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर ज्यादा प्रभावी भूमिका निभाने में सहायक बनेंगे । उन्होंने कहा कि श्री जूमा ने अंतरराष्ट्रीय मुद्दों और वैश्विक चुनौतियों से निबटने के लिए भारत के साथ करीबी सहयोग का आश्वासन दिया है। आतंकवाद को दोनों देशों के लिए समान खतरा बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका इस समस्या से निबटने के लिए हर स्तर पर व्यापक सहयोग पर राजी हुए हैं। श्री मोदी ने उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष के भारत और दक्षिण अफ्रीका के साझा इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि इस संघर्ष ने दोनों के बीच रणनीतिक सबंधों को मजबूत आधार दिया है। दोनों देशों ने रंगभेद और उपनिवेशवाद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है। ‘‘हमारे दो दशक पुराने संबंध प्रगति और ठोस उपलब्धियों की गाथा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि अफ्रीका में वह खुद को घर आने जैसा महसूस कर रहे हैं। यहां आना उनके लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अौर रंगभेद के खिलाफ संघर्ष करने वाले महान नेता नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि ये दो विलक्षण विभूतियां थीं,धरती पर दोबारा ऐसा कोई नहीं जन्मा। उन्होंने कहा कि यह दक्षिण अफ्रीका ही था जहां गांधी जी को अपने जीवन का मकसद मिला था,इसलिए वह जितने भारत के हैं उतने ही दक्षिण अफ्रीका के भी हैं।

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