पटना, 08 जुलाई, बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज कहा कि नीतीश सरकार की उदासीनता के कारण प्रदेश में जहां उद्योग के क्षेत्र में कोई बड़ा निवेश नहीं हो पाया है वहीं रोजगार के सर्वाधिक सम्भावना वाले सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी )के प्रक्षेत्र में भी राज्य देश के अन्य राज्यों की तुलना में निचले पायदान पर खड़ा है। भजपा विधान मंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां कहा कि राज्य सरकार की उदासीनता के कारण ही आईटी प्रक्षेत्र में सृजित होने वाले रोजगार के बड़े अवसरों से वंचित राज्य के युवाओं को बंगलुरु एवं अन्य शहरों में जाने के लिए विवश होना पड़ रहा है । केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित इलेक्ट्रॉनिक निर्माण कलस्टर के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में नालंदा के राजगीर में 250 एकड़ जमीन चिन्हित कर केंद्र सरकार को सूचित किया था, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है। श्री मोदी ने कहा कि इसी तरह केन्द्र सरकार द्वारा राजगीर में प्रस्तावित आईटी सिटी भी जमीन के अभाव में अधर में है। नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की स्थापना बक्सर एवं मुजफ्फरपुर में तथा सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया की भागलपुर और दरभंगा में करना था । इसके लिए राज्य सरकार आज तक जमीन उपलब्ध नहीं करा सकी है।
भाजपा नेता ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई आई टी) पटना में केन्द्र सरकार की ओर से स्थापित होने वाले इन्क्यूबेशन सेंटर के मैचिंग ग्रांट के तौर पर दिए जाने वाले 25 करोड़ में से राज्य सरकार 5-6 करोड़ रूपये ही दे पाई है। डिजिटल इंडिया के तहत राज्य के करीब पांच हजार पंचायतों में कामन सर्विस सेंटर खोला गया है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से इन केंद्रों को आय प्रमाण पत्र, बिजली बिल आदि जमा करने जैसी सेवाएं नहीं दी जा रही है जिसके कारण ये केन्द्र लाभकारी साबित नहीं हो पा रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि वर्ष 2011 में बनी आईटी नीति के निष्प्रभावी होने की वजह से राज्य में उम्मीद के अनुरूप सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के क्षेत्र में सौ करोड़ का पूंजी निवेश भी नहीं हो पाया। ऐसे में बिहार के लिए अब नई आईटी नीति तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बिहार न केवल आई टी क्षेत्र में पिछड़ा रह गया है, बल्कि यहां के युवाओं को रोजगार के बड़े अवसरों से भी वंचित होना पड़ा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह बताना चाहिये कि क्या केवल शराबबंदी को लेकर दिन-रात अभियान चलाने से राज्य के युवाओं को रोजगार मिल सकेगा ।

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