विपक्ष में केवल एक पार्टी ने देश की प्रगति को रोका : मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


मंगलवार, 5 जुलाई 2016

विपक्ष में केवल एक पार्टी ने देश की प्रगति को रोका : मोदी

one-party-stop-nation-development-modi
नयी दिल्ली 05 जुलाई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि अधिकतर राजनीतिक दल देशहित में सरकार के साथ सहयोग कर रहे है लेकिन एक पार्टी देश पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों की चिंता किये बगैर हर मुद्दे पर बाधा डालने का रूख अपनाये हुए है। एक से अधिक मीडिया घरानों द्वारा दी गयी प्रश्नावली के लिखित जवाब में प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के 25 महीनों की उपलब्धियों और भविष्य की अपनी याेजनाओं के बारे में भी बताया। संसद के आगामी मानसून सत्र के बारे में श्री मोदी ने कहा कि विधायी एजेंडे के संबंध में अधिकतर दल देश हित में सरकार के साथ सहयोग कर रहे है। उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस का नाम लिये बगैर कहा कि केवल एक पार्टी को छोड़कर विपक्ष देशहित में रचनात्मक भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरा देश जानता है कि केवल एक पार्टी ऐसी है जो अपनी हार की सच्चाई को नहीं पचा पा रही है। 

प्रधानमंत्री के मीडिया साक्षात्कार संसद के आगामी सत्र के शुरू होने से पहले आये है। संसद का सत्र 18 जुलाई से शुरू होगा। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश,बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लोग इस विधेयक से सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा,“मैं नहीं सोचता कि जीएसटी का विरोध करके कोई राजनीतिक दल आत्महत्या का प्रयास करेंगा।” राजनीतिक सुधारों पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराये जाने की वकालत की। श्री मोदी ने कहा कि इन दिनों एक महत्वपूर्ण मुद्दा चुनावों में धनबल के प्रभाव का है। चुनावों के दौरान सरकार का कामकाज रूक सा जाता है इसलिए ज्यादातर लोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराये जाने के पक्ष में है। यदि ऐसा होता है तो राज्यसभा का स्वरूप भी उसी के अनुरूप हो सकेगा। 

कोई टिप्पणी नहीं: